All for Joomla All for Webmasters
झारखण्ड

झारखंड HC ने लगाई राज्य सरकार को फटकार, कहा-किताबी ज्ञान से जंगल और जानवरों को नहीं बचाया जा सकता

झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) ने एक बार फिर शुक्रवार को वन्य क्षेत्रों के संरक्षण एवं वन्य जीवन को लेकर राज्य सरकार की योजनाओं पर कड़े सवाल उठाये तथा दो टूक कहा कि सिर्फ विजन डॉक्यूमेंट से कुछ नहीं होगा बल्कि विभाग को जमीन पर काम करना होगा मुख्य न्यायाधीश डा.

Ranchi: झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) ने एक बार फिर शुक्रवार को वन्य क्षेत्रों के संरक्षण एवं वन्य जीवन को लेकर राज्य सरकार की योजनाओं पर कड़े सवाल उठाये तथा दो टूक कहा कि सिर्फ विजन डॉक्यूमेंट से कुछ नहीं होगा बल्कि विभाग को जमीन पर काम करना होगा मुख्य न्यायाधीश डा. रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य में हाथी की मौतों की जनहित याचिका के तौर पर स्वतः संज्ञान के तहत सुनवाई के दौरान कहा , ‘सिर्फ विजन डॉक्यूमेंट से कुछ नहीं होगा. विभाग को जमीनी स्तर पर काम करना होगा. विभाग में सिर्फ वैसे अधिकारी या कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी, जिनको जंगल और जानवरों से प्यार हो.’

सुनवाई के दौरान वन विभाग के प्रधान सचिव,पीसीसीएफ और कई अधिकारी कोर्ट में ऑनलाइन जुड़े थे. इस दौरान सरकार की ओर से जंगल और जानवरों को बचाने के लिए विजन डॉक्यूमेंट पेश किया गया गया था. इसी पर अदालत ने कहा ,  ‘किताबी ज्ञान से जंगल और जानवरों को नहीं बचाया जा सकता है. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा. जंगल में ऐसे पेड़-पौधे लगाने होंगे, जिनसे शाकाहारी जीव वहां रहें, तभी मांसाहारी जीव भी वहां रहेंगे. गांवों में नीलगाय से लोग परेशान हैं और जंगल में कोई जानवर ही नहीं है.’

अदालत ने कहा कि अगर अधिकारी अपने आप में सुधार नहीं लाएंगे तो आगे भी जंगल बर्बाद होते रहेंगे. इस मामले में अदालत ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को प्रतिवादी बनाते हुए उसे इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. 

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा,  ‘एचईसी क्षेत्र में स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है. वहा पेड़़ काट दिए गए, जबकि पास में सचिवालय है. सरकार की ओर से वहां की हरियाली को बरकरार रखने के लिए क्या उपाय किया गया? क्या सरकार ने इसके लिए कोई योजना बनाई है.’ उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही डोरंडा में तीन कल्पतरु वृक्ष को संरक्षित किया गया. दूसरी ओर सरकार की ओर से शपथपत्र दाखिल कर बताया गया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में काफी काम किया जा रहा है. देहरादून की एक टीम ने दौरा किया है. कुछ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिससे बाघों की जानकारी जुटाई जा रही है. 

अदालत ने कहा , ‘अभी सिर्फ एक बाघ के होने की संभावना है, तो उस पर नजर रखने के लिए कैमरा लगाया जाना चाहिए. दूसरी जगहों से बाघिन और बच्चों को लाकर पीटीआर (पलामू बाघ संरक्षित क्षेत्र) में छोड़ा जाना चाहिए ताकि इनकी संख्या बढ़ सके. एक जगह से दूसरी जगह जानवरों को ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि जानवरों की संख्या बढ़ाई जा सके.’

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top