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उत्तराखंड

Uttarakhand Election 2022:भाजपा और कांग्रेस के बीच तेज हुई जुबानी जंग, दोनों के बीच वार-पलटवार का दौर 

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होगा। लिहाजा, भाजपा और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गई है। भाजपा ने एक वीडियो जारी किया, इसके जवाब में कांग्रेस ने भी करारा पलटवार किया।

भाजपा नेता जुगरान का बनाया ‘पोल-पट्टी खोल’ वीडियो जारी
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी और भाजपा के नेता रविंद्र जुगरान की ओर से तैयार किया गया पोल पट्टी खोल वीडियो शनिवार को जारी किया गया। इस वीडियो में जुगरान ने मुख्य रूप से पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को निशाने पर लिया है। त्यागी रोड के एक होटल में राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी, उषा नेगी, विवेकानंद खंडूड़ी, प्रकाश सुमन ध्यानी और राजीव तलवार ने इस वीडियो को जारी किया। जुगरान ने बताया कि इस वीडियो में पूर्व सीएम हरीश रावत के समय भ्रष्टाचार और अराजकता को दिखाया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि रावत राज्य विरोधी रहे और उत्तराखंड गठन के बाद उन्होंने कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार को भी ठीक से काम नहीं करने दिया। जुगरान ने कहा कि हरीश रावत जब खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने तो एक स्टिंग में टॉपअप और भ्रष्टाचार पर आंख मूंदने की बात कहते नजर आए। जुगरान ने कहा कि पूर्व सीएम हरीश रावत ने 29 साल में उत्तराखंड के साथ विश्वास घात किया और उसी को इस वीडियो के जरिये पेश किया गया है।

रामपुर कांड के दोषी अफसरों को बचाती रही भाजपा : जोशी
भाजपा के पोल पट्टी खोल अभियान पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया। शनिवार को कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरादत्त जोशी ने कहा कि भाजपा की हताश दिन ब दिन सामने आती जा रही है। कांग्रेस पर आरोप लगाने वाले यह क्यों भूल जाते हैं कि रामपुर तिराहा कांड के दोषी अफसर किसके कृपा पात्र थे? भाजपा के शीर्ष नेता हमेशा दोषियों को बचाने की कोशिश करते रहे। राजीव भवन में मीडिया से बातचीत में जोशी ने कहा कि भाजपा के पास विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर कहने के लिए कुछ भी नहीं है।

अब इस प्रकार गीत गा-गाकर जनता को भरमाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि गीत गाने वाले भी कितने घाट का पानी पी चुके हैं, यह भी किसी से छिपा नहीं है। जनता को सब पता है। पूर्व सीएम हरीश रावत पर खनन और शराब का आरोप लगाए जा रहे हैं, पर असली खनन प्रेमी कौन है? यह भी उत्तराखंड की जनता जानती है। यहां खनन वाहनों के कर्मचारी को पहले हटाया जाता है 
और फिर कुछ दिनों बाद बहाल हो जाते हैं। 

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