त्यौहारों के मौसम में मिलावट अपने चरम पर होती है. इसे रोकने के लिए दिल्ली में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को ‘खोया’ के नमूने लेना और विक्रेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करना शुरू कर दिया.
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नई दिल्ली. त्यौहारी सीजन से पहले दिल्ली सरकार ने मिठाई बनाने में इस्तेमाल होने वाले ‘खोया’ जैसे दूध उत्पादों में मिलावट की जांच शुरू कर दी है. पीटीआई के अनुसार, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को ‘खोया’ के नमूने लेना और विक्रेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करना शुरू कर दिया.
खाद्य सुरक्षा विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि अधिकारी एके सिंह के नेतृत्व में कुल आठ टीमों ने मोरी गेट और फतेहपुरी में अपने नीलामी स्थलों पर ‘खोया’ के नमूने लेना शुरू कर दिया है.
‘खोया’ नीलामी स्थलों का दौरा
इन टीमों ने गुरुवार को दो ‘खोया’ नीलामी स्थलों का दौरा किया और 22 नमूने एकत्र किए. मोरी गेट पर विक्रेताओं को एफएसएसएआई पंजीकरण नहीं होने के लिए तीन कारण बताओ नोटिस दिए. नमूने लेने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 और नियम एवं विनियम के प्रावधानों के तहत विश्लेषण के लिए नमूने खाद्य प्रयोगशाला में भेजे गए. विभाग ने अपने बयान में यह भी कहा गया है कि यदि आवश्यक हुआ तो विक्रेताओं के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
जांच के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भी इस महीने की शुरुआत में खाद्य तेल में मिलावट की जांच के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया था. दो सप्ताह तक चलने वाला यह अभियान पूरे देश में 14 अगस्त तक जारी रहा.
मिलावट की जांच
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस अभियान की मदद से शरीर को हाइड्रोजनीकृत तेलों में ट्रांस-फैटी एसिड की उपस्थिति की पहचान करने आसानी हुई है. साथ ही देश भर में खुले खाद्य तेल की बिक्री पर रोक लगाने में मदद की. पिछले साल, FSSAI ने पाया कि पूरे भारत से एकत्र किए गए 4,461 खाद्य तेल के नमूनों में से 2.42%, केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं कर सके.
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इसके अलावा, इस सर्वेक्षण से बाजार में प्रचलित मिलावट का भी पता चला क्योंकि 24.2% नमूने गुणवत्ता मेट्रिक्स को पास नहीं कर सके. इस वर्ष FSSAI ने परिणामों में बेहतर सटीकता के लिए अपने नमूना आधार को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.