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धर्म

Garuda Purana: मृत्‍यु के बाद ही क्‍यों पढ़ा जाता है गरुड़ पुराण? उससे पहले पढ़ने के क्‍या हैं नियम

Garuda Purana in Hindi: गरुड़ पुराण में जन्म से लेकर मृत्यु तक और मृत्यु के बाद आत्मा के सफर को लेकर भी कई बातें बताई गई हैं. लेकिन इसमें अच्छा जीवन जीने के भी कई महत्वपूर्ण तरीके बताए गए हैं.

Garuda Purana Gyan: गरुड़ पुराण को लेकर आम धारणा है कि इसे मृत्यु के बाद ही पढ़ा जाता है. परिवार में जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसके बाद 13 दिनों तक घर में गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है. चूंकि गरुड़ पुराण में मृत्यु और मृत्यु के बाद आत्मा के सफर को लेकर विस्तार से बताया गया है इसीलिए गरुड़ पुराण का मोटे तौर पर मुख्य संबंध मृत्यु से ही जोड़ा जाता है. यह बात सच है कि इसमें कर्मों के आधार स्वर्ग-नरक मिलने की अवधारणा आदि के बारे में बताया गया है लेकिन उसके साथ-साथ इसमें जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में भी बहुत विस्तार से बताया गया है. 

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बहुत कारगर हैं गरुड़ पुराण की शिक्षा 

यदि व्यक्ति गरुड़ पुराण में बताई गई बातों का पालन करें तो वह सुखद और सफल जीवन जी सकता है, इसीलिए गरुड़ पुराण में बताई गई बातों को जानकर उन्हें अपने जीवन में उतारें तो यह बहुत लाभदायी साबित होता है.

…इसलिए मृत्यु के बाद पढ़ा जाता है गरुड़ पुराण 

हिंदू धर्म में किसी परिजन की मृत्यु के बाद घर में 13 दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ करने की परंपरा है. हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद घर में उसके परिजन गरुड़ पुराण का पाठ करते हैं तो मृतक की आत्मा को अच्छी गति मिलती है, उसे स्वर्ग प्राप्त होता है.

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ऐसा नहीं है कि केवल मृत्‍यु के बाद ही गरुड़ पुराण का पाठ किया जा सकता है जो भी व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए गरुड़ पुराण का पाठ करना चाहता है और उसमें बताई गई ज्ञान की बातों को अपने जीवन में उतारना चाहता है वह सामान्य दिनों में भी गरुड़ पुराण का पाठ कर सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि गरुड़ पुराण का पाठ पूरी पवित्रता के साथ किया जाए इसके लिए पहले व्यक्ति स्नान करके साफ कपड़े पहने और साफ सुथरी जगह पर बैठकर पूरी पवित्रता और शुद्ध मन के साथ गरुड़ पुराण पढ़ें. गरुड़ पुराण का पाठ करने से सामान्य मनुष्य भी यह आसानी से जान सकता है कि कौन सा रास्ता धर्म का है और कौन सा धर्म का. इस तरह अपने कर्म अच्छे करे और अपने इस जन्म के साथ-साथ अगले जन्म को भी बेहतर बना सकता है. 

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