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बच्चों को भी हो सकती है सोशल एंग्जायटी, 7 तरीकों से दूर होगी समस्या, तुरत बढ़ेगा कॉन्फिडेंस

Social Anxiety In Child: कई माता पिता की ये परेशानी होती है कि उनका बच्‍चा सामान्‍य लोगों की तरह सोशल नहीं हो पाता और वह लोगों से मिलने जुलने से बचता है. ऐसी समस्‍याएं इन दिनों कई स्‍कूल गोइंग बच्‍चों में देखने को मिल रही है. ऐसी समस्‍या को दूर करने के कुछ उपाय हैं जिनकी मदद से सोशल एंग्‍जायटी से उबर सकते हैं.

Tips To Overcome Social Anxiety In Child: जब बच्‍चे सोशल एंग्‍जायटी के शिकार हो जाते हैं तो वे लोगों से मिलने में डरते हैं और वे ऐसे माहौल में कंफर्टेबल नहीं महसूस करते हैं. इस वजह से वे क्‍लास रुम डिस्‍कशन, पार्टीज, फ्रेंडशिप ग्रुप में भी हिस्‍सा लेने से कतराने लगते हैं. ऐसे में यह माता पिता और स्‍कूल की जिम्‍मेदारी होती है कि वे बच्‍चे को यह सिखाएं कि किस तरह सिचुएशन को मैनेज किया जाता है और अपनी तरफ से कोशिश किया जा सकता है. अगर बच्‍चा तब भी ऐसे हालात को मैनेज करने में सक्षम महसूस ना करे तो आपको प्रोफेशनल की मदद जरूर लेनी चाहिए.

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कॉमन प्रॉब्‍लम है सोशल एंग्‍जायटी
राइजिंग चिल्ड्रेनके मुताबिक, बच्चों में शर्मीला व्यवहार एक सामान्य बात है. कुछ बच्चे स्वाभाविक रूप से शर्मीले होते हैं और उन्‍हें आसानी से नए लोगों के साथ घुलने मिलने में परेशानी आती है. लेकिन जो बच्‍चे अत्यधिक शर्मीले स्‍वभाव के हैं, उनके लिए रोजमर्रा की गतिविधियों में भी ये बाधा बनने लगता है और वे सोशल एंग्‍जायटी डिसऑर्डर के शिकार हो सकते हैं.

सोशल एंग्जायटी से इस तरह बच्‍चों को उबारें

1-आप अपने बच्चों को डरने की बजाय सिचुएशन का सामना करना सिखाएं. आप उनकी भावनाओं और मनोस्थिति को समझें और हर तरह से मोटिवेट करें.

2-कहीं भी जाने से पहले बच्‍चे को उस माहौल के बारे में सारी जानकारी दें, लोगों के बारे में पहले से बताएं और यह भी बताएं कि लोग किस तरह का व्‍यवहार कर सकते हैं. ऐसा करने से वो पहले से खुद को माहौल के लिए तैयार कर पाएंगा और भागेगा नहीं.

3-बच्‍चे के सामने खुद का उदाहरण पेश करें. मसलन उन्‍हें बताएं कि किस तरह आप भी ऐसे हालात से गुजरते थे और धीरे धीरे चीजें बदल गईं. ऐसा करने से बच्‍चा अपनी समस्‍या को आपके सामने बोलने में झिझकेगा नहीं.

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4-अगर आप बच्‍चे के साथ जाएं तो उसे फोर्स करने की बजाय खुद ही कुछ गतिविधियों में हिस्‍सा लें और बच्‍चे के लिए उदाहरण पेश करें. ऐसा करने से बच्‍चा यह सीखेगा कि आखिर शुरुआत किस तरह करनी है.

5-अगर आपका बच्‍चा प्रीस्‍कूल में है और वह लोगों से मिलने में डर रहा है तो उसे बताएं कि उसके उम्र के अधिकतर बच्‍चों की ये समस्‍या होती है. अगर वो अपनी बात लोगों से शेयर करेगा तो लोग भी उसकी मदद करेंगे और उसे अपने साथ रखेंगे.

6-अगर आप बच्‍चे का सजा देंगे या उसे लोगों के सामने बुरा भला कहेंगे तो बच्‍चे पर और भी खराब असर पड़ेगा. उसे कंफर्टेबल रखने के लिए आप भी उससे बातचीत करते रहें. इससे उसका डर कम होता रहेगा.

7-जरूरत पड़ने पर आप विशेषज्ञों की मदद ले सकते हैं.

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