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उत्तर प्रदेश

अतीक-अशरफ मर्डर ने खड़े किए कई सवाल, आखिर शूटरों पर क्यों नहीं चली गोली, एनकाउंटर के लिए मशहूर पुलिस से कहां हुई चूक?

Atiq Ahmad and Ashraf Ahmed Murder Case: प्रयागराज में माफिया सरगना अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के बाद से यूपी पुलिस सवालों के घेरे में है. 18 पुलिसवालों की मौजूदगी में 3 लोगों ने अतीक और अशरफ को गोलियों से छलनी कर दिया. उनको जिंदा पकड़ लिया गया. मगर सबसे बड़ा सवाल तो यही उठता है कि मुठभेड़ों में अपराधियों को मार गिराने के लिए मशहूर पुलिस ने इन तीनों हमलावरों पर आखिर गोली क्यों नहीं चलाई? इन लोगों ने जब अपने हथियार फेंक दिए तो पुलिस ने उनको जिंदा पकड़ लिया.

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस के 18 जवान और अफसर शनिवार को प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसके भाई अशरफ (Ashraf murder) की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के बाद से मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ साल से अपराधियों के खिलाफ लगातार सफल मुठभेड़ों (Encounter) को अंजाम देने का दावा करने वाली यूपी पुलिस (Uttar Pradesh police) के भारी सुरक्षा बंदोबस्त को भेदते हुए तीन युवकों ने अतीक और उसके भाई को गोली मार दी. मीडिया की मौजूदगी में हुई इस घटना को लाइव देखा गया. पुलिस तीनों आरोपियों को जिंदा पकड़ने में कामयाब रही. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक खबर के मुताबिक इसके साथ ही पुलिस को कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ा रहा है. कहा जा रहा कि मुठभेड़ों के लिए मशहूर यूपी की पुलिस फोर्स आखिर अतीक और अशरफ पर हमला करने वालों को मौके पर ही मार गिराने में नाकाम क्यों रही?

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पुलिस जब अतीक और अशरफ अहमद मेडिकल जांच के लिए ले जा रही थी, तभी खुद को न्यूज चैनल के पत्रकार के रूप में पेश करने वाले तीन युवकों ने उन पर करीब से निशाना साधा था. उनमें से एक ने पहली गोली अतीक की बाईं कनपटी पर दागी, जबकि दूसरे ने अशरफ को गोली मारी. गोलियों की तड़तड़ाहट शुरू होते ही पुलिस और पत्रकार खुद को बचाने के लिए भाग खड़े हुए. ठीक 22 सेकेंड बाद गोलियां चलना बंद हो गईं. इसके बाद ही न्यूज चैनल के कैमरामैन अपने कैमरों के साथ वापस लौटे. उस वक्त तीनों युवकों को हाथ हवा में उठाए और धार्मिक नारे लगाते हुए देखा गया. उनकी पिस्टल कुछ ही दूरी पर पड़ी मिली. इसके बाद पुलिस ने उन पर धावा बोला और उन्हें पकड़कर जीप में बिठाकर ले गई.

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सबसे बड़ा सवाल यही उठा था कि पुलिस हमलावरों पर गोली चलाने में नाकाम क्यों रही. एक पुलिस वाले ने कहा कि ‘उन्हें शायद प्रतिक्रिया देने का समय नहीं मिला.’ इससे पहले कि कई लोग कुछ समझ पाते फायरिंग खत्म हो गई. फायरिंग से मची भगदड़ में न्यूज चैनल वाले तितर-बितर हो गए. जिससे कैमरे की रोशनी भी नहीं रही. जब तक कैमरे की रोशनी वापस आती अतीक और अशरफ जमीन पर पड़े हुए थे. उत्तर प्रदेश के एक रिटायर वरिष्ठ पुलिस अफसर ने कहा कि ‘ये सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि पुलिस को समय नहीं मिला. यह पुलिस के लिए गोली चलाने का पेशेवर रूप से बुद्धिमान निर्णय नहीं होता.’ वहीं एक एक दूसरे रिटायर आईपीएस अफसर ने कहा कि ‘अगर तीनों को मौके पर ही ढेर कर दिया गया होता, तो दोनों हत्याओं के पीछे की साजिश को उजागर करने का कोई रास्ता नहीं बचता. वैसी हालत में सभी सबूतों को खत्म कर देने के लिए पुलिस को निशाना बनाया गया होता.’

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