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पंजाब विधानसभा में पास हुआ गुरबानी के मुफ्त प्रसारण का बिल, CM मान बोले- पीटीसी चैनल को नहीं करना चाहिए विरोध

Punjab News पंजाब की भगवंत मान सरकार ने मंगलवार को स्वर्ण मंदिर गुरबानी के मुफ्त प्रसारण का बिल विधानसभा में पेश किया। गुरबानी के मुफ्त प्रसारण को लेकर लाया गया ये बिल विधानसभा में पारित हो गया है।

चंडीगढ़, पीटीआई। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने मंगलवार को स्वर्ण मंदिर गुरबानी के मुफ्त प्रसारण का बिल विधानसभा में पेश किया। गुरबानी के मुफ्त प्रसारण को लेकर लाया गया ये बिल विधानसभा में पारित हो गया है। बिल के पास होने पर मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि पीटीसी चैनल (PTC Channel) को इसका विरोध नहीं करना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि कहने को तो पीटीसी फ्री एयर गुरबाणी को दिखा रहा है, लेकिन हकीकत में वह गुरबाणी से करोड़ों रुपये कमा रहा है, क्योंकि विदेशों में बैठी सिख संगत को पीटीसी चैनल लेने के लिए 54 डॉलर प्रति महीने तक भुगतान करना पड़ता है। इस बिल का शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने विरोध किया। बिल बहुमत से पास हुए।

‘दूसरे चैनलों को गुरबाणी दिखाने क्यों नहीं दिया जाता?’

मुख्यमंत्री ने कहा, सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सुखबीर बादल के अधिकार वाली पीटीसी को 11 साल के लिए गुरबाणी के चलाने के अधिकार दे दिए थे। वैसे तो संविधान के अनुसार पांच साल तक अगर किसी संस्था के चुनाव नहीं होते तो वह भी वैद्य नहीं रहते। उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि गुरबाणी से पैसे नहीं कमाए जा रहे हैं और यह फ्री टू एयर हैं। अगर ऐसा होता तो दूसरे चैनलों को गुरबाणी दिखाने क्यों नहीं दिया जाता है।

‘विदेशों में चैनल के लिए 54 डॉलर देने पड़ते हैं’

सदन में मान ने कहा, गुरबाणी दिखाने के एक्सक्लूसिव राइटस पीटीसी के पास हैं। यानी वह कंटेंट के मालिक हैं। इंटलेक्चुअल राइट्स खुद लेकर कह रहे हैं कि फ्री टू एअर हैं। उन्होंने कहा कि भले ही गुरबाणी के समय में विज्ञापन नहीं दिखाए जाते हों, लेकिन इसी के अनुसार चैनल की टीआरपी बढ़ती है और उसे विज्ञापन मिलता है। वैसे भी विज्ञापन जरूरी नहीं, क्योंकि विदेशों में इस चैनल के लिए 54 डॉलर देने पड़ते हैं।

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इस बिल से क्या नया होगा? सीएम ने बताया

उन्होंने कहा कि जो बिल लाया गया है, उसमें कोई भी चैनल गुरबाणी चला सकता है। शर्त यह होगी कि गुरबाणी शुरू होने से आधा घंटा पहले और खत्म होने से आधा घंटा बाद तक वह कोई विज्ञापन नहीं दिखा पाएगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल पर कटाक्ष करते हुए कहा, “मैं तो जैसा अंदर हूं वैसा ही बाहर हूं। किसी की तरह नहीं जो समय देख कर दाढ़ी खुली छोड़ दे और फिर बाद में बांध ले।”

‘यह राज्य सरकार का अधिकार है’

मुख्यमंत्री बोले की कहा कि जा रहा है कि यह एसजीपीसी का अधिकार है, जबकि ऐसा नहीं है। यह राज्य सरकार का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मामले में एसजीपीसी की याचिका खारिज कर चुकी है। साथ ही उन्होंने कहा कि एसजीपीसी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने एक साल पहले कहा था कि एसजीपीसी अपना चैनल बनाकर गुरबाणी दिखाएगी। उनकी बात क्यों नहीं मानी गई, क्योंकि इसमें आर्थिक हित शामिल हैं। एसजीपीसी के प्रधान द्वारा यह कहा जाना कि राज्य सरकार को गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन करने का अधिकार नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा कि धामी तो एडवोकेट हैं, हमें तो शक होने लगा है कि वह एडवोकेट कैसे बन गए।

आप के मंत्री धालीवाल ने क्या कहा

वहीं, आप के मंत्री कुलदीप धालीवाल ने कहा कि बताया जा रहा है कि यह बिल सिखों के धार्मिक मामले में हस्तक्षेप है। यह हमला कैसे हो सकता है। गुरबाणी पर सभी का अधिकार है। सरकार ने तो सभी चैनलों को गुरबाणी दिखाने का अधिकार दिया है।

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वहीं, अकाली दल के विधायक मनप्रीत अयाली ने कहा कि वह भी गुरबाणी का एक चैनल को अधिकार देने के खिलाफ हैं, लेकिन सरकार को इस मामले में दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि एसजीपीसी सिखों की चुनी हुई संस्था है।

उन्होंने सुझाव दिया कि अगर सरकार इसमें पारदर्शिता लाना चाहती है तो इस मसले का हल मिल बैठकर निकाले। बसपा विधायक डॉ. नछत्तर पाल ने भी मनप्रीत अयाली के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को सिख मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।

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