रेलबस श्रीलंका में चलाई जाती हैं. भारत ने पर्यटन के लिए प्रसिद्ध अपने पड़ोसी मुल्क को 2009 में 10 बसें दी थीं. इन्हें 5 रेलबसों में कन्वर्ट किया गया. इनका परिचालन उन कुछ रूट्स पर होता है जहां यात्रियों की संख्या काफी कम है.
नई दिल्ली. जिन रेल रूट्स पर यात्रियों की संख्या बहुत कम होती है अक्सर वहां ट्रेनों का आवागमन रोक दिया जाता है. ऐसा रेलवे द्वारा उठाए जा रहे घाटे के कारण किया जाता है. जो एक लिहाज से ठीक भी है. लेकिन भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका ने इसका तोड़ ढूंढ निकाला है. इसमें भारत ने भी उसकी बड़ी मदद की है. श्रीलंका में कुछ ऐसे रूट्स हैं जहां पर रेल यात्रियों की संख्या काफी कम होती है. यहां ट्रेन पर अनावश्यक पैसा खर्च करने की जगह बसों को ही ट्रैक पर दौड़ाया जाता है.
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अब आप सोच रहे होंगे कि बस को कैसे रेल ट्रैक पर चलाया जा सकता है. नीचे दी गई रेल बस की तस्वीर को देखिए. इसमें बाकी सब बस जैसा ही है लेकिन ड्राइवर की स्टीयरिंग हटा दी गई है. सबसे बड़ा बदलाव यह है कि इसके पहियों को बदलकर ट्रेन के पहिये लगा दिए गए हैं. 2 बसों को मिलाकर 1 रेलबस बनाई जाती है. बस के दोनों ओर ड्राइवर कैबिन होते हैं. ठीक उसी तरह से जैसे दिल्ली मेट्रो में होते हैं.
भारत का सहयोग
भारत और श्रीलंका सहयोगी देश हैं. भारत ने हमेशा श्रीलंका की मदद को आगे आता है. यातायात की सुविधा को बढ़ाने के लिए भारत अपने इस खूबसूरत पड़ोसी देश की मदद करता है. हाल ही में देश ने श्रीलंका को 75 बसें गिफ्ट की थी. हालांकि, बसों को गिफ्ट करने का दौर नया नहीं है. 2009 में रेल बस प्रोजेक्ट के लिए ही 10 बसें गिफ्ट की थी. इन्हें मोडिफाई करके श्रीलंका ने 5 रेलबसों में तब्दील कर दिया. यह 10 बसें अशोका लीलैंड ने सप्लाई की थीं. श्रीलंका में रेलबस की शुरुआत 1995 में हुई थी. तब टाटा की 2 बसों को मिलाकर एक रेलबस बनाई गई थी.
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किन रूट्स पर होता है परिचालन
फिलहाल रेल बस का परिचालन निम्नलिखित रूट्स पर होता है. चिलाव से पुट्टालम, बाटीकालोआ से गलोया, त्रिंकोमाली से गलोया, अनुराधापुरा से मेदावाछिया, कुरुनेगला, महावा, पेरेडनिया से कैंडी और महारगामा से कोसागामा. अगर आप कभी श्रीलंका के टूर पर जाएं तो इन रूट्स पर रेलबस का आनंद ले सकते हैं. अमूमन इन रूट्स पर भीड़ कम होती है. रेलबस घने जंगलों और खेत-खलिहानों के बीच से होकर निकलती है. किराये के संबंध में आपको स्टेशन से बेहतर जानकारी मिल पाएगी.