All for Joomla All for Webmasters
बिज़नेस

Income Tax Return Filing: कितने तरह के होते हैं ITR Forms, यहां जानें- किसको भरना चाहिए कौन सा फॉर्म?

Income Tax Return Filing: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना हर टैक्स पेयर की जिम्मेदारी होती है. ऐसे में किसको कौन सा फॉर्म फाइल करना चाहिए. उसके बारे में यहां पर जानकारी दी गई है.

Income Tax Return Filing: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना सभी टैक्सपेयर्स की जिम्मेदारी है, यह लोगों को इनकम की रिपोर्ट करने, कटौती का क्लेम करने और इनकम टैक्स कानूनों का पालन करने में मदद करता है. इस प्रॉसेस को सुविधाजनक बनाने के लिए, टैक्यपेयर्स की कई तरह की फाइनेंशियल कंडीशंस को पूरा करने के लिए अलग-अलग तरह के ITR फॉर्म होते हैं.

ये भी पढ़ें:Hindenburg Report पर बोले Gautam Adani, कहा – ग्रुप को बदनाम करने की सुनियोजित साजिश थी

आइए, यहां पर यह जानते हैं कि अलग-अलग इनकम सोर्सेज और फाइनेशियल कंडीशंस के आधार पर किसको कौन सा फॉर्म भरना चाहिए?

कितने तरह के होते हैं ITR फॉर्म्स?

ITR-1 (SAHAJ Form)

ITR-1, जिसे आमतौर पर “सहज” के नाम से जाना जाता है, सबसे सरल और सबसे अधिक भरा जाने वाला फॉर्म है. यह उन पर्सनल टैक्स पेयर्स के लिए है जिनकी इनकम वेतन या पेंशन, होम असेट्स और दूसरे सोर्सेज से इनकम है. हालांकि, ITR-1 फाइल करने के लिए कुछ खास शर्तें पूरी करनी होंगी:

कुल इनकम 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

इनकम केवल होम असेट्स से होनी चाहिए.

कृषि इनकम 5,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें:-रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी, इंदौर से चलने वाली ये स्पेशल ट्रेनें फिर से हुईं बहाल 

ITR-1 के लिए पात्र व्यक्ति ड्यूएल टैक्सेशन रिलीफ का क्लेम नहीं कर सकते हैं या उनके पास कोई विदेशी संपत्ति नहीं है.

ITR-2

ITR-2 उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए है जिनकी बिजनेस या पेशे से इनकम नहीं है. यह फॉर्म तब लागू होता है जब आपको कई होम असेट्स, कैपिटल बेनिफिट्स या फॉरेन असेट्स से इनकम होती है. यदि आप किसी कंपनी के निदेशक हैं या फाइनेँशियल ईय़र के दौरान नॉन-लिस्टेड इक्विटी शेयरों में इन्वेस्ट किया है तो इसको भरा जा सकता है.

ITR-3

ITR-3 उन व्यक्तियों और HUF के लिए है जिनकी इनकम किसी बिजनेस या पेशे से होती है. यदि आप एक फ्रीलांसर, सलाहकार हैं, या एक छोटा बिजनेस रन करते हैं, तो आपको अपनी इनकम और कटौती की रिपोर्ट करने के लिए ITR-3 का उपयोग करना चाहिए.

ये भी पढ़ें:-Air India की फ्लाइट में मोबाइल हुआ ब्लास्ट, उदयपुर में करानी पड़ी फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग

ITR-4 (Sugam Form)

ITR-4, जिसे आमतौर पर सुगम (Sugam Form) के नाम से जाना जाता है, व्यक्तियों, HUF और फर्मों सहित अनुमानित इनकम टैक्स पेयर्स के लिए डिज़ाइन किया गया है. यदि आपके बिजनेस का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये तक का है और आप अनुमानित टैक्सेशन योजना का ऑप्शन चुनते हैं, तो आप ITR-4 का उपयोग कर सकते हैं. इसमें अनुमानित आधार पर कैलकुलेट की गई बिजनेस और पेशे से इनकम शामिल है.

ITR-5

ITR-5 सीमित देयता भागीदारी (LLPs), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOPs), बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (BOIs), और आर्टिफिशियल ज्यूरिडिकल पर्सन्स (AJPs) जैसी संस्थाओं के लिए लागू है. यह पर्सनल टैक्सपेयर्स पर लागू नहीं होता है.

ITR-6

ITR-6 उन कंपनियों के लिए डिज़ाइन किया गया है, सिवाय उन कंपनियों के जो धारा 11 (धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए रखी गई संपत्ति से इनकम) के तहत छूट का क्लेम करती हैं.

ये भी पढ़ें:-Indian Railways: रेलवे मंत्री अश्‍व‍िनी वैष्णव का ऐतिहासिक फैसला! अब तक कोई रेल मंत्री नहीं कर पाया ये काम

ITR-7

ITR-7 उन व्यक्तियों और कंपनियों के लिए है जिन्हें धारा 139(4ए) या 139(4बी) या 139(4सी) या 139(4डी) (यानी, ट्रस्ट, राजनीतिक दल, संस्थान, आदि) के तहत रिटर्न प्रस्तुत करना होगा.

कैसे यह तय किया जाता है कि कौन सा ITR फॉर्म किसको भरना है?

सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित और प्रॉसेसिंग में देरी या पेनाल्टी से बचने के लिए सही ITR फॉर्म चुनना महत्वपूर्ण होता है. उचित फॉर्म की पहचान करने में आपकी सहायता के लिए यहां एक सामान्य गाइडलाइन दी गई:

ITR-1 (SAHAJ): वेतन, पेंशन, एक गृह संपत्ति और अन्य स्रोतों से इनकम वाले व्यक्तियों के लिए, जो बताए गए इनकम और एग्रीकल्चर इनकम शर्तों को पूरा करते हैं.

ITR-2: उन व्यक्तियों और HUF के लिए जिनकी व्यवसाय या पेशे से इनकम नहीं है, लेकिन जिनके पास कई घर की संपत्ति, पूंजीगत लाभ या विदेशी संपत्ति है.

ये भी पढ़ें:-Petrol Diesel Prices : यूपी से बिहार तक महंगा हुआ पेट्रोल, नोएडा में 35 पैसे सस्‍ता, देखें कितना पहुंचा रेट

ITR-3: स्वामित्व वाले व्यवसाय या पेशे से इनकम वाले व्यक्तियों और HUF के लिए.

ITR-4 (SUGAM): 2 करोड़ रुपये तक के कारोबार टर्नओवर वाले अनुमानित इनकम टैक्स पेयर्स के लिए.

ITR-5: एलएलपी, एओपी, बीओआई और एजेपी जैसी संस्थाओं के लिए.

ITR-6: धारा 11 के तहत छूट का क्लैम नहीं करने वाली कंपनियों के लिए.

ITR-7: व्यक्तियों और कंपनियों के लिए धारा 139(4ए), 139(4बी), 139(4सी), या 139(4डी) के तहत रिटर्न प्रस्तुत करना आवश्यक है.

ये भी पढ़ें:-Loan Payment: नहीं चुका पा रहे हैं लोन? इन स्टेप्स को जरूर करें फॉलो, ये है कानूनी अधिकार

गौरतलब है कि सही ढंग से और समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना हर इकम टैक्स पेयर का कर्तव्य है जो देश के विकास को फंडिंग करने में मदद करता है. टैक्स नियमों का पालन करने के लिए आपके इनकम सोर्सेज और फाइनेंशियल कंडीशंस के आधार पर विभिन्न प्रकार के ITR फॉर्म और उनकी जरूरत को समझना महत्वपूर्ण है. यदि आप इस बारे में अनिश्चित हैं कि किस फॉर्म का उपयोग करें या आपकी वित्तीय स्थिति जटिल है, तो इनकम टैक्स एडवाइजर या योग्य प्रोफेशनल से सहायता ली जा सकती है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top