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क्या क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने से बढ़ जाएगी लोन की EMI, जानें- RBI के ब्याज दरों पर फैसले को लेकर एक्सपर्ट्स की राय

Crude Oil Price Rise Impact: रिजर्व बैंक 4-6 अक्टूबर तक द्विमासिक बैठक का आयोजन होने जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सेंट्रल बैंक ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है.

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Crude Oil Price Rise Impact: क्रूड ऑयल की कीमतों में हालिया उछाल ने कर्जदारों के बीच लोन की समान मासिक किस्त (EMI) बढ़ने की संभावना को लेकर चिंता बढ़ा दी है. वहीं, 4 से 6 अक्टूबर के बीच RBI की मोनेटरी पॉलिसी की बैठक होने जा रही है, जिसमें ब्याज दरों को लेकर फैसले लिए जा सकते हैं.

आइए, यहां पर समझते हैं कि क्या क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का आपके लोन की EMI पर होने वाला है?

ईंधन की लागत और इन्फ्लेशन

क्रूड ऑयल की कीमतों में वृद्धि से ईंधन की लागत में वृद्धि हो सकती है, जिसका नतीजा यह होगा कि इन्फ्लेशन का दबाव बढ़ सकता है. इन्फ्लेशन ओवरऑल इकोनॉमी को प्रभावित करती है और RBI इसे नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों को एक टूल के तौर पर इस्तेमाल करता है. इन्फ्लेशन बढ़ने पर केंद्रीय बैंक खर्च और उधार पर अंकुश लगाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने पर विचार कर सकता है.

फ्लोटिंग ब्याज दर का लोन पर प्रभाव

यदि RBI इन्फ्लेशन के जवाब में ब्याज दरें बढ़ाने का निर्णय लेता है, तो फ्लोटिंग ब्याज दर वाले लोन, जैसे कि होम लोन और कुछ पर्सनल लोन की ईएमआई पर प्रभाव पड़ सकता है. फ्लोटिंग दरें आम तौर पर केंद्रीय बैंक की नीतियों से जुड़ी होती हैं.

RBI की एमपीसी बैठक: उम्मीदें और एक्सपर्ट्स की राय

ब्याज दर निर्णय: RBI की एमपीसी ब्याज दरों पर एक सही फैसला लेने के लिए इन्फ्लेशन, इकोनॉमिक डेवलपमेंट और ग्लोबल डेवलपमेंट समेत अलग-अलग इकोनॉमिक फैक्टर्स का मूल्यांकन करेगी.

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केंद्रीय बैंक मौजूदा इकोनॉमिक सिचुएशंस के आधार पर दरों को अपरिवर्तित रखने, उन्हें बढ़ाने या यहां तक कि उनमें कटौती करने का निर्णय ले सकता है.

इन्फ्लेशन टार्गेट: RBI उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) इन्फ्लेशन के लिए लक्ष्य सीमा के साथ इन्फ्लेशन-टार्गेट का पालन करता है. एक्सपर्ट इसको बड़ी बारीकी से देखेंगे कि क्या RBI का लक्ष्य इन्फ्लेशन को अपने लक्ष्य सीमा के भीतर बनाए रखना है या क्या वह क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों जैसे बाहरी फैक्टर्सों के कारण अस्थायी इन्फ्लेशन को सहन करने के लिए तैयार है.

डेवलपमेंट आउटलुक: इकोनॉमिक डेवलपमेंट अन्य महत्वपूर्ण फैक्टर है. यदि RBI को इकोनॉमिक सुधार का सपोर्ट करने की आवश्यकता महसूस होती है, तो वह ब्याज दरों को कम रखकर उदार मोनेटरी पॉलिसी बनाए रखने का फैसला ले सकता है.

ग्लोबल फैक्टर्स: ग्लोबल इकोनॉमिक सिचुएशन, खासतौर पर क्रूड ऑयल की कीमतों की गतिशीलता और फेडरल रिजर्व जैसे प्रमुख केंद्रीय बैंकों का रुख, RBI के फैसले को प्रभावित करेगा.

एक्सपर्ट्स की राय

कुछ एक्सपर्ट्स का तर्क है कि RBI सतर्क रुख अपना सकता है और इकोनॉमिक डेवलपमेंट को समर्थन देने के लिए ब्याज दरों पर यथास्थिति बनाए रख सकता है, खासकर अगर इन्फ्लेशन के दबाव को अस्थायी माना जाये तो.

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कुछ अन्य लोगों का मानना है कि क्रूड ऑयल की कीमतों को लेकर अनिश्चितता और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर संभावित प्रभाव को देखते हुए RBI इन्फ्लेशन पर अंकुश लगाने के लिए दरों में मामूली बढ़ोतरी पर विचार कर सकता है.

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