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हेल्थ

जहरीली हवा से इस गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे युवा, कैंसर का भी बढ़ रहा खतरा, डॉक्टर के बताए 5 तरीकों से करें बचाव

How Air Quality Affects Health: सर्दियों में वायु प्रदूषण का कहर ज्यादा देखने को मिलता है. हवा जहरीली होने से लोगों के फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. एयर पॉल्यूशन की वजह से कम उम्र के लोग फेफड़ों की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. अब सवाल है कि इन बीमारियों से कैसे बचा जाए? इसके टिप्स पल्मनोलॉजिस्ट से जान लेते हैं.

Air Pollution & COPD: राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में इस वक्त एयर पॉल्यूशन तेजी से बढ़ रहा है. अगले कुछ सप्ताह में एयर क्वालिटी के बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंचने की आशंका है. पूरे देश में इस वक्त करोड़ों लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. इसका असर लोगों के फेफड़ों पर बुरी तरह पड़ रहा है. लंबे समय तक पॉल्यूशन में रहने से फेफड़ों की कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि वायु प्रदूषण की वजह से पिछले कुछ सालों में बड़ी तादाद में युवा फेफड़ों की बीमारियों का शिकार हो चुके हैं और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. एक्सपर्ट्स की मानें तो एयर पॉल्यूशन के दौरान जहरीले कण हवा में घुल जाते हैं और सांस लेने के दौरान ये टॉक्सिक एलीमेंट शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं. इनसे कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

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नई दिल्ली के मूलचंद हॉस्पिटल के सीनियर पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. भगवान मंत्री के मुताबिक जहरीली हवा में सांस लेने से ये तत्व हमारे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. इन खतरनाक कणों से फेफड़ों को काफी नुकसान होता है और लंबे समय तक इन कणों के संपर्क में आने से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा और लंग कैंसर समेत कई बीमारियां हो सकती हैं. पॉल्यूशन से सभी तरह के कैंसर का खतरा बढ़ता है. पॉल्यूशन की वजह से फेफड़ों के साथ हार्ट डैमेज हो सकता है.

फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए एयर पॉल्यूशन जानलेवा साबित हो सकता है. पिछले कुछ सालों में पॉल्यूशन तेजी से बढ़ा है और इसकी वजह से बड़ी संख्या में युवा क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी का शिकार हो रहे हैं. इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, जो बेहद चिंताजनक है. कुछ दशक पहले तक सीओपीडी ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करती थी, लेकिन अब कम उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं.

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क्या है क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज?

डॉ. भगवान मंत्री कहते हैं कि आमतौर पर फेफड़ों से संबंधित दो बीमारियां होती हैं, जिनमें अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) हैं. अस्थमा एक तरह की एलर्जिक कंडीशन है, जबकि सीओपीडी फेफड़ों से जुड़ी एक प्रोगेसिव डिजीज है. सीओपीडी की वजह से लोगों के फेफड़े धीरे-धीरे कमजोर होना शुरू हो जाते हैं. सीओपीडी हमारे लंग की कैपेसिटी कम कर देती है. इसकी वजह से हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है.

ऐसे मरीजों को चलने-फिरने में दिक्कत होती है और उनकी सांस फूलने लगती है. ऐसे लोगों को खांसी और बलगम की दिक्त होती है. फेफड़ों की यह समस्या एयर पॉल्यूशन के अलावा सिगरेट पीने से भी हो सकती है. पोस्ट वायरल इंफेक्शन की वजह से यंग पेशेंट्स में सीओपीडी के मामले बढ़े हैं. यह एक गंभीर बीमारी है, जिसका सही इलाज कराना बेहद जरूरी है. इसे लेकर लापरवाही करने से कंडीशन ज्यादा बिगड़ सकती है. इसलिए डॉक्टर से मिलकर कंसल्ट करना जरूरी है.

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कैसे कर सकते हैं इस बीमारी से बचाव?

पल्मनोलॉजिस्ट के अनुसार क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से बचने के लिए इन दिनों लोगों को सुबह-सुबह बाहर नहीं निकलना चाहिए. जब भी बाहर निकलें, तब N-95 मास्क का इस्तेमाल करें. इससे प्रदूषण से बचाव हो सकेगा और इस बीमारी का खतरा भी कम हो जाएगा. 40 की उम्र के बाद लोगों को साल में एक बार अपना लंग फंक्शन टेस्ट जरूर कराना चाहिए, ताकि वक्त रहते बीमारी का पता लगाया जा सके. इसके अलावा लोगों को अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर रखना चाहिए. पॉल्यूशन के दौरान स्मोकिंग करना बेहद खतरनाक हो सकता है और इससे फेफड़ों को पर डबल अटैक हो सकता है. ऐसे में स्मोकिंग से पूरी तरह दूरी बनाने में ही फायदा है. फेफड़ों को मजबूत रखने वाली एक्सरसाइज और योगासन करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है.

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