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अब क्या होगा Go First का, इस अरबपति ने भी खीचें हाथ, 11000 करोड़ रु का कर्ज

Go First May Liquidate: एक समय था जब गोफर्स्ट (Go First) देश की प्रमुख एयरलाइनों में से एक थी। मगर आज ये दिवालिया है और इससे भी बढ़कर एयरलाइन को कोई खरीदने वाला भी नहीं है। ऐसे में एयरलाइन के पास केवल दो ही विकल्प हैं।

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इनमें एक है कि इसकी रेजोल्यूशन समयसीमा को आगे बढ़ाया जाए, जिससे शायद इसे कोई खरीदार मिल जाए और दूसरा है एयरलाइन का Liquidation। लिक्विडेशन का मतलब है कर्जदारों का पैसा चुकाने के लिए किसी कंपनी की संपत्तियां बेचना।

लिक्विडेशन पर वोटिंग की तैयारी

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को लेनदारों की समिति (सीओसी) की बैठक हुई, जो संभावित बोली लगाने वालों के लिए एयरलाइन के लिए रेजोल्यूशन पेश करने का आखिरी दिन था। मगर खरीदार न मिलने के चलते संभावना अब लिक्विडेशन की बन रही है।

नवीन जिंदल ने भी हाथ खींचे

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ईटी की रिपोर्ट के अनुसार जिंदल स्टील एंड पावर के प्रमोटर नवीन जिंदल में एक्सप्रेस ऑफ इंटेरेस्ट (ईओआई) पेश किया था, जो एयरलाइन के लिए बोली लगाने वाले के रूप में एकमात्र नाम हो सकते थे। मगर उन्होंने भी फाइनल बोली नहीं लगाई।

बढ़ाई जा चुकी लिक्विडेशन की डेडलाइन

कर्जदाताओं ने बंद पड़ी एयरलाइन की रेजोल्यूशन डेडलाइन को 90 दिनों के लिए और बढ़ा दिया था। कर्जदाताओं का अब मानना है कि इसे और बढ़ाने से मदद नहीं मिल सकती। गो फर्स्ट पर बैंकों का 6,500 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। मगर इस पर कुल कर्ज 11,463 करोड़ रु का है।

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सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा का इस पर क्रमशः 1,987 करोड़ रुपये और 1,430 करोड़ रुपये का बकाया है। ये दो सरकारी बैंक एयरलाइन के सबसे बड़े कर्जदार हैं।

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