All for Joomla All for Webmasters
समाचार

Banks NPA: देश के बैंकों को लेकर आई बड़ी खुशखबरी! जानकर आप हो जाएंगे गदगद, आरबीआई की रिपोर्ट में हुआ ये खुलासा

RBI

नई दिल्ली: भारतीय बैंकों (Indian Banking Sector) ने कमाल कर दिया है। कभी भारतीय बैंक बुरे कर्ज यानी एनपीए के बोझ तले दबे हुए थे। लेकिन अब ये बैंक बंपर मुनाफा कमा रहे हैं।

ये भी पढ़ें– Reserve Bank of India : SBI और HDFC बैंक में जितने चाहे जमा कर दो पैसे, कभी डूबेंगे नहीं

आरबीआई की रिपोर्ट में इसका पता चला है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय बैंकों (Indian Banks) का ग्रॉस एनपीए (NPA) कई साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत पर आ गया है। देश के बैंको के एनपीए (Non-Performing Assets) में कमी आई है। बैंकों का नेट नॉन परफॉर्मिंग एसेट रेशियो घटकर कई वर्षों के निचले स्तर 0.8 फीसदी पर आ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से इसकी जानकारी दी गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश की घरेलू वित्तीय प्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि बैंकों की नेट नॉन परफॉर्मिंग एसेट रेशियो (NPA) के अनुपात में गिरावट आई है। आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के मुताबिक, इस अवधि में बैंकों का जीएनपीए (GNPA) अनुपात भी घटकर कई साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत पर आ गया है।

रिपोर्ट में हुआ खुलासा

ये भी पढ़ें– सरकार और उल्फा संगठन के बीच शांति समझौता, गृह मंत्री अमित शाह की ऐतिहासिक पहल

रिपोर्ट के मुताबिक, ”सितंबर, 2023 में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो (CRAR) 27.6 प्रतिशत, ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट (GNPA) रेशियो 4.6 प्रतिशत और एसेट पर रिटर्न (आरओए) 2.9 प्रतिशत पर रहा है। रिपोर्ट कहती है कि अनुसूचित कमर्शियल बैंकों (एससीबीएस) का रिस्क वेटेज एसेट रेशियो (सीआरएआर) 16.8 प्रतिशत और समान इक्विटी टियर-1 (सीईटी1) अनुपात सितंबर, 2023 में 13.7 प्रतिशत था।

बैंक होंगे सक्षम

एफएसआर रिपोर्ट के मुताबिक, ”कमर्शियल बैंक मिनिमम कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे। सितंबर, 2024 में सिस्टमैटिक सीआरएआर क्रमशः बेसलाइन, मध्यम एवं अत्यधिक दबाव की स्थिति में क्रमश: 14.8 प्रतिशत, 13.5 प्रतिशत और 12.2 प्रतिशत रह सकता है।”

ये भी पढ़ें– Tesla फैक्ट्री में रोबोट बना इंसान का दुश्मन, इंजीनियर पर हमला, बही खून की धारा

रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का जिक्र करते हुए कहा गया है कि घरेलू वित्तीय प्रणाली लचीली बनी हुई है। इसे मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों, वित्तीय संस्थानों के स्वस्थ बहीखाते, मुद्रास्फीति में नरमी, बाह्य क्षेत्र की स्थिति में सुधार और निरंतर राजकोषीय मजबूती से समर्थन मिल रहा है।

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top