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बैलेंस टैक्स डिमांड वापस लेने से कितने टैक्सपेयर्स को होगा फायदा और सरकार को होगा कितना बड़ा नुकसान, जानें- यहां

income tax

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में टैक्सपेयर्स के लिए राहत भरी खबर दी. खासकरके उनके लिए जिनका रिटर्न काफी दिनों से अटका हुआ था. 25,000 रुपये तक की उनकी टैक्स डिमांड को वापस लेने का ऐलान किया.

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Balance Tax Demand: देश में कुछ टैक्सपेयर्स के मामले में उनके इनकम टैक्स डिस्पुट काफी लंबे समय से चल रहे हैं. डिमांड पेंडिंग होने की वजह से उनका टैक्स रिफंड भी अटका रहता है. लेकिन अबकी बार के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने उनके लिए राहत भरी खबर दी है.

विवादित टैक्स डिमांड को वापस लेगी सरकार

1 फरवरी 2024 को अपने अंतरिम बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि सरकार एक निश्चित राशि तक और एक तय समय से संबंधित सभी बैलेंस विवादित टैक्स डिमांड को वापस ले लेगी.

वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25,000 रुपये तक की बकाया डायरेक्ट टैक्स डिमांड की निकासी.

वित्तीय वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक 10,000 रुपये तक की बकाया डायरेक्ट टैक्स डिमांड की निकासी.

टैक्सपेयर्स की सेवाओं में सुधार के लिए विवादित टैक्स डिमांड को वापस लिया जा रहा है. यह ऐलान जीवन को आसान बनाने और इज ऑफ डूइंग बिजनेस के सरकार के विजन के मुताबिक है.

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कितने टैक्सपेयर्स को होगा फायदा?

वित्त मंत्री ने बताया कि बड़ी संख्या में छोटी, नॉन-वेरीफाइड, नॉन-सल्यूशनेबल या विवादित डायरेक्ट टैक्स डिमांड हैं. इनमें से कई विवादित डिमांड वर्ष 1962 की हैं. ये विवादित डिमांड इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड में बनी रहती हैं. इसलिए वे ईमानदार टैक्सपेयर्स के लिए चिंता का कारण बनती हैं. वे पिछले वर्षों की पेंडिंग डिमांड के कारण इन टैक्सपेयर्स के अगले वर्षों के इनकम टैक्स रिफंड के प्रासेसिंग में भी दिक्कतें पैदा करते हैं.

इन बकाया डायरेक्ट टैक्स डिमांड को वापस लेने से लगभग एक करोड़ टैक्सपेयर्स को बेनिफिट मिलने की उम्मीद है. इस रिफंड से बैलेंस डिमांड वाले टैक्सपेयर्स के इनकम टैक्स रिफंड के प्रासेसिंग का रास्ता भी खुलेगा.

सरकार को कितना नुकसान होगा?

अंतरिम बजट के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने पेंडिंग टैक्स डिमांड के बारे में कुछ जानकारी दी. जिसमें उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर लगभग 2.68 करोड़ मांगें लंबित हैं, जिससे 3500 करोड़ करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा.

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गौरतलब है कि बजट पेश किए जाने से पूर्व टैक्सपेयर्स को इस बात की उम्मीद थी कि सरकार टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव करेगी. लेकिन चुनावी साल होने के बावजूद भी सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया. लेकिन, 25,000 रुपये तक के विवादित मामलों के लिए यह ऐलान किया.

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