दिल्ली की अदालत ने रिपोर्ट को अवमानना-जनक पाया. कोर्ट ने ब्लूमबर्ग को ZEEL पर भ्रामक और फर्जी रिपोर्ट हटाने का आदेश दिया.
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दिल्ली की एक अदालत ने ब्लूमबर्ग को आदेश दिया है कि वो ZEE एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के खिलाफ प्रकाशित ‘अपमानजनक’ लेख को हटाए…ZEEL ने दिल्ली सत्र न्यायालय में अपना पक्ष रखा. उसने तर्क दिया कि ब्लूमबर्ग का लेख झूठा और तथ्यात्मक रूप से गलत है. साथ ही इसे कंपनी को बदनाम करने के इरादे से इसे प्रकाशित किया गया था. रिपोर्ट 21 फरवरी को प्रकाशित की गई थी. इस वजह से कंपनी के शेयर में 15% की गिरावट आई. दिल्ली सेशंस कोर्ट ने इसे अवमानना-जनक पाया और ब्लूमबर्ग को ZEEL पर भ्रामक और फर्जी रिपोर्ट हटाने का आदेश दिया.
‘ब्लूमबर्ग का लेख झूठा, तथ्यात्मक रूप से गलत’
इस मुद्दे पर ZEE की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. रिट में कहा गया था कि ब्लूमबर्ग में लिखा गया यह लेख झूठा और तथ्यात्मक रूप से एकदम गलत था. कंपनी ने यह भी आरोप लगाया था कि यह लेख कंपनी को बदनाम करने के लिए गलत इरादे से लिखा गया था.
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ब्लूमबर्ग ने अपने इस लेख में ZEE के कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बिजनेस ऑपरेशन से जुड़े विवरणों का उल्लेख किया था, जो प्रकृति में गलत थे. इस गलत लेख की वजह से कंपनी के शेयर मूल्य में 15% की गिरावट आई, जिससे निवेशकों की संपत्ति कम हो गई.
‘कंपनी को बदनाम करने के लिए लिखा लेख’
दिल्ली की एक अदालत ने ब्लूमबर्ग को आदेश दिया है कि वो ZEE एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के खिलाफ प्रकाशित ‘अपमानजनक’ लेख को हटाए. ZEEL ने इस मामले में दिल्ली सत्र न्यायालय के सामने केस दायर किया था. कंपनी ने तर्क रखा कि ब्लूमबर्ग का लेख झूठा और तथ्यात्मक रूप से गलत था और इसे कंपनी को बदनाम करने के इरादे से इसे प्रकाशित किया गया था.
ब्लूमबर्ग ने अपने इस लेख में दावा किया था कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को ZEEL के खातों में 241 मिलियन डॉलर के कुछ इश्यू मिले हैं. जबकि सेबी ने ऐसा कोई आदेश जारी ही नहीं किया था.
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कंपनी की ओर से दृढ़ता से इन गलत तथ्यों का खंडन करने के बावजूद ZEE में वित्तीय अनियमितताओं के फर्जी दावों को गलत तरीके से प्रकाशित किया गया.