मोबाइल बनाने के मामले में भारत ने नया इतिहास रच दिया है। साथ ही चीन को गहरी चोट दे गया है। बता दें कि मोबाइल बनाने के मामले में चीन का दबदबा हुआ करता था।
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लेकिन भारत की पीएलआई स्कीम की वजह से सभी स्मार्टफोन कंपनियों ने भारत का रुख किया है। इसकी वजह से भारत में बड़े पैमाने पर स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग शुरू हुई। हालांकि आज 10 वर्ष बाद भारत स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का बड़ा प्लेयर बन चुका है।
पूरी हो रही घरेलू जरूरतें
इंडस्ट्री बॉडी ICEA ने बताया कि मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग में पिछले 10 साल में भारत में 21 गुना बढ़कर 4.1 लाख करोड़ रुपये हो गया। ऐसा माना जा रहा है कि पीएलआई जैसे स्कीम की वजह से लोकल प्रोडक्शन में इजाफा हुआ है। ऐपल और सैमसंग जैसी कंपनियों ने स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग के मामले में चीन को छोड़कर भारत अपना कारोबार शिफ्ट किया है। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने कहा कि भारत लोकल स्मार्टफोन डिमांड का 97 फीसदी स्मार्टफोन खुद बनाता है, जबकि वित्त वर्ष 2024 में कुल प्रोडक्शन का 30 फीसदी स्मार्टफोन निर्यात किया है।
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मोबाइल प्रोडक्शन में भारी इजाफा
मोबाइल फोन प्रोडक्शन 2014-15 में 18,900 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में करीब 4,10,000 करोड़ रुपये हो गया। इसमें करीब 2000 फीसद की ग्रोथ दर्ज की गई है। साल 2014-15 में भारत से मोबाइल फोन एक्सपोर्ट मात्र 1,556 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2024 के आखिर तक 1,20,000 करोड़ रुपये हो गया। मतलब 10 साल में निर्यात में 7500 फीसद की ग्रोथ हुई।
कौन बनाते हैं भारत में फोन
ऐपल और सैमसंग भारत में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग करते हैं, जिन्हें मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण अमेरिकी मार्केट में बेचते हैं।
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साथ ही यूके, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया और इटली में भी मेड इन इंडिया स्मार्टफोन को एक्सपोर्ट किया जा रहा है। भारत 5वां सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्यायत देश बन गया है।