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सरकारी कैंटीन का सामान होगा और सस्‍ता, मोदी सरकार ने 20 लाख कर्मचार‍ियों को क‍िया खुश

Paramilitary Association: जीएसटी में दी जाने वाली छूट को अगले वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल से लागू क‍िया जाएगा. सरकार की तरफ से दी गई राहत में खर्च होने वाले पैसे को सुरक्षा बलों के लिए आवंट‍ित क‍िये गए बजट से ही लिया जाएगा.  

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Central Police Canteens: केंद्र सरकार ने केंद्रीय अर्धसैन‍िक बलों (CAPF) के जवानों को तोहफा द‍िया है. सीएपीएफ (CAPF) के जवानों को कैंटीन में म‍िलने वाले प्रोडक्‍ट पर 50 प्रत‍िशत की जीएसटी छूट म‍िलेगी. पूर्व अर्धसैनिक बलों के वेलफेयर से जुड़े संगठन ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया. यह छूट केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (KPKB) के लिए नोट‍िफाई की गई है. केपीकेबी (KPKB) की तरफ से देश के अलग-अलग राज्‍यों में मौजूदा 1700 से ज्‍यादा कैंटीन का संचालन क‍िया जाता है.

इस तरह के कर्मचार‍ियों को म‍िलता है फायदा

केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल (CAPF) में सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी शामिल हैं. इन कैंटीन की सुविधा का गृह मंत्रालय से जुड़ी कुछ अन्य संस्था जैसे बीआरपीएफ और एनसीआरबी के कर्मचार‍ियों को भी द‍िया जाता है. इन सुरक्षाबलों के पास देश-विदेश में अलग-अलग प्रकार की सुरक्षा की ज‍िम्‍मेदारी होती है.

जीएसटी का 50% हिस्सा सरकार देगी

कंफेडरेशन ऑफ एक्‍स पैराम‍िल‍िट्री फोर्सेज मार्ट‍ियर्स वेलफेयर एसोस‍िएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने सरकार के फैसले का स्‍वागत क‍िया. उन्‍होंने इसे 20 लाख से ज्यादा देश सेवा कर रहे और रिटायर हो चुके अर्धसैनिक बल के कर्मचार‍ियों और उनके परिवार के ल‍िए होली का तोहफा बताया. रणबीर सिंह ने बताया कि कैंटीन से सामान खरीदने पर लगने वाले जीएसटी का 50% हिस्सा सरकार देगी.

कब से क‍िया जाएगा लागू

जीएसटी में दी जाने वाली छूट को अगले वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल से लागू क‍िया जाएगा. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से दी गई राहत में खर्च होने वाले पैसे को सुरक्षा बलों के लिए आवंट‍ित क‍िये गए बजट से ही लिया जाएगा. आपको बता दें केंद्रीय पुलिस कैंटीन हर साल करीब 10 लाख कर्मियों के 50 लाख पर‍िजनों और रिटायर्ड कर्मियों व उनके परिवारों वालों को घरेलू जरूरत के सामान की ब‍िक्री करती हैं.

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इन सामानों में किराना, कपड़े और गाड़ियों आद‍ि की ब‍िक्री शाम‍िल होती है. इस तरह के सामान की ब‍िक्री कर हर साल करीब 2800 करोड़ रुपये का कारोबार क‍िया जाता है.

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