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हेल्थ

Kidney Failure: दुर्लभ किडनी बीमारी से ग्रस्त लोगों में किडनी फेल होने का खतरा ज्यादा!

हमारे शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण है, लेकिन किडनी का काम तो वाकई कमाल का है! ये खून साफ करने का फिल्टर हैं, जो शरीर की गंदगी को बाहर निकालते हैं. मगर कभी-कभी किडनी खुद ही बीमार हो जाती हैं.

हमारी किडनियां शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण अंग हैं, जो खून को साफ करने और शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखने का काम करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ दुर्लभ किडनी रोग गुप्त खतरे की तरह उभर रहे हैं? अध्ययनों से पता चला है कि इन दुर्लभ किडनी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों में किडनी फेल होने का खतरा कहीं ज्यादा होता है. आइए आज इसी विषय पर चर्चा करते हैं.

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द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित हुआ एक ताजा शोध के अनुसार दुर्लभ किडनी बीमारी से पीड़ित मरीजों में नॉर्मल क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के मरीजों की तुलना में किडनी खराब होने का खतरा अधिक होता है, लेकिन उनका जीवित रहने का आंकड़ा बेहतर होता है. प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, दुर्लभ किडनी बीमारी से ग्रस्त मरीजों में 5 साल के भीतर किडनी खराब होने की संभावना (28%) कहीं अधिक होती है, वहीं सामान्य सीकेडी (1%) के मरीजों में यह काफी कम है. हालांकि, दुर्लभ किडनी रोग से ग्रस्त मरीजों का जीवित रहने का आंकड़ा सीकेडी के मरीजों से बेहतर पाया गया.

क्या कहते हैं शोधकर्ता?
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के गुर्दे रोग विभाग की डॉक्टर कैटी वोंग और उनके सहयोगियों ने ये शोध किया है. उनका कहना है कि दुर्लभ बीमारियों को आम तौर पर अमेरिका में दो लाख से कम लोग और यूरोप में 10 हजार लोगों में से 5 से कम लोग झेलते हैं. उन्होंने आगे कहा कि इन बीमारियों की प्रगति और किडनी व मरीज के जीवित रहने की दर को बेहतर ढंग से समझने की आवश्यकता है. इससे भविष्य में नए उपचारों की संभावनाओं को तलाशने में मदद मिल सकती है.

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27 हजार मरीजों का हुआ मूल्यांकन
शोधकर्ताओं ने यूके के नेशनल रजिस्ट्री ऑफ रेयर किडनी डिजीज से डेटा का उपयोग करते हुए एक विश्लेषण किया. इस अध्ययन में 28 प्रकार के दुर्लभ किडनी बीमारियों से पीड़ित 27,285 मरीजों का मूल्यांकन किया गया. अध्ययन में 2010 से 2022 के बीच यूके के 108 रीनल केयर केंद्रों को शामिल किया गया, जिसमें औसतन 9.6 वर्षों तक मरीजों का अनुसरण किया गया. अध्ययन का मुख्य लक्ष्य मृत्यु दर और किडनी खराब होने की संभावना को समझना था.

शोधकर्ताओं ने पाया कि दुर्लभ किडनी रोग से ग्रस्त मरीजों में सीकेडी से पीड़ित 28 लाख से अधिक मरीजों की तुलना में किडनी खराब होने की संभावना अधिक थी, लेकिन उनका जीवित रहने का आंकड़ा बेहतर था. वोंग और उनकी टीम ने यह भी पाया कि किडनी खराब होने और मृत्यु होने की औसत आयु (डायलिसिस शुरू होने से मृत्यु तक का समय) पता चलने से लेकर ईजीएफआर थ्रेशोल्ड तक का समय और उपचार का समय अलग-अलग दुर्लभ किडनी बीमारियों में भिन्न होता है.

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अध्ययन का निष्कर्ष
उन्होंने लिखा कि दुर्लभ किडनी रोग सीकेडी से पीड़ित लोगों का 5% से 10% हिस्सा लेते हैं, लेकिन किडनी रिप्लेसमेंट थेरेपी प्राप्त करने वाले 25% से अधिक मरीजों का प्रतिनिधित्व करते हैं. अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि दिल संबंधी खतरे और मौत के अन्य कारणों को कम करने के लिए रणनीतियां बहुत महत्वपूर्ण हैं. किडनी खतरा होने का एक बड़ा हिस्सा व्यक्तिगत रूप से दुर्लभ किडनी बीमारियों के कारण होता है. इसलिए दुर्लभ किडनी बीमारी से ग्रस्त मरीजों को सीकेडी के अधिक सामान्य कारणों वाले मरीजों से अलग पहचाना जाना चाहिए, जो जल्दी विशेषज्ञ रेफरल और डायग्नोस के महत्व पर बल देता है.

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