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पंजाब

पंजाब में मोहिंदर सिंह केपी के साथ कांग्रेस का राजनीतिक ‘खेला’, न पार्टी टिकट न आजाद कर पाए नामांकन

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Punjab Election 2022: पंजाब की आदमपुर विधानसभा सीट पर नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन कांग्रेस में हाईप्रोफाइल राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला। आदमपुर सीट पर कांग्रेस ने सुखविंदर सिंह कोटली को उम्मीदवार बनाया हुआ था, लेकिन अंतिम समय तक कांग्रेस ने सस्पेंस बनाया रखा कि पार्टी इस सीट पर पुनर्विचार कर रही है।

मोहिंदर सिंह केपी को लगातार यह संकेत दिए जाते रहे कि टिकट उन्हें ही मिलेगा। यही कारण था कि कोटली ने भी नामांकन नहीं किया था। कांग्रेस ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे’ की नीति पर चलती रही। अंतत: कांग्रेस ने केपी को जालंधर कैंट से चुनाव लड़ने से भी रोक लिया और कोटली का टिकट भी नहीं काटा। कांग्रेस की इस रणनीति से परगट सिंह को राहत मिली तो जालंधर के सांसद चौधरी संतोख सिंह की भी परेशानी दूर हो गई।

आदमपुर विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस में खासा घमासान मचा हुआ था। पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहिंदर सिंह केपी उम्मीदवार की घोषणा होने के बावजूद टिकट के लिए जोर लगा रहे थे। कांग्रेस को यह चिंता थी कि केपी को अगर मना कर देते हैं तो वह जालंधर कैंट से नामांकन भर सकते हैं। इस सीट से कैबिनेट मंत्री परगट सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। परगट चाहते थे कि केपी को आदमपुर सीट से टिकट मिल जाए, जबकि जालंधर के सांसद चौधरी संतोख सिंह का जोर इस बात को लेकर लगा हुआ था कि कोटली का टिकट किसी भी प्रकार से न कटे, क्योंकि चौधरी संतोख के पुत्र विक्रमजीत सिंह चौधरी जो कि फिल्लौर से कांग्रेस के उम्मीदवार है, की परेशानी बढ़ती थी।

चौधरी ने पिछले दिनों बसपा के कई नेताओं को पार्टी में शामिल करवाया है। कोटली भी बसपा से कांग्रेस में आए हैं। समर्थकों ने चौधरी संतोख को कह दिया था कि अगर कोटली का टिकट कटा तो वह साथ नहीं चलेंगे, इसलिए सांसद यह नहीं चाहते थे कि कोटली का टिकट कटे। दोनों तरफ से पड़ रहे दबाव को देखते हुए कांग्रेस ने इस मामले को अंतिम समय तक लटकाए रखने का फैसला लिया।

पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्र बताते हैं कि देर रात को आदमपुर सीट को लेकर पार्टी की एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक को देखते हुए केपी का एक नुमाइंदा चंडीगढ़ में कांग्रेस भवन के बाहर टिकट का इंतजार करता रहा। कांग्रेस ने केपी को लगातार यह कहकर उलझाए रखा कि पार्टी रिव्यू कर रही है। कांग्रेस यह नहीं चाहती थी कि केपी जालंधर कैंट से नामांकन भरें। इसके लिए कांग्रेस ने केपी को 3 बजे तक रोके रखने की रणनीति बनाई।

सुबह 10 बजे से ही लगातार अलग-अलग माध्यमों से यह सूचना आती रही कि कोटली का टिकट कट गया है और केपी उम्मीदवार होंगे। इस बीच पार्टी का टिकट भी जालंधर पहुंच गया था। 2.30 बजे तक केपी इसी उलझन में रहे कि उन्हें टिकट मिल रहा है। अंतत: केपी को पार्टी टिकट नहीं मिला। बता दें कि केपी पहले जालंधर वेस्ट से टिकट मांग रहे थे। वह 2017 का चुनाव भी आदमपुर से ही लड़े थे और हार गए थे।

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