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उत्तर प्रदेश

Varanasi: सात अन्य देशों में खुलेगा संस्कृत शिक्षण केंद्र, 37 दुर्लभ शास्त्रों के अध्ययन की मिलेगी सुविधा

अमेरिका में ऑनलाइन संस्कृत शिक्षण केंद्र की कार्यपरिषद की मंजूरी के बाद सात और देशों में इसका विस्तार किया जाएगा। इसमें हर साल दो हजार विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। आने वाले 10 वर्षों में विश्वविद्यालय को पूरी तरह से डिजिटल करने की तैयारी है। 

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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का संस्कृत शिक्षण केंद्र विश्व के सात और देशों में खोलने की तैयारी है। अमेरिका में ऑनलाइन संस्कृत शिक्षण केंद्र की कार्यपरिषद की मंजूरी के बाद सात और देशों में इसका विस्तार किया जाएगा। इसमें हर साल दो हजार विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। आने वाले 10 वर्षों में विश्वविद्यालय को पूरी तरह से डिजिटल करने की तैयारी है। 

यह जानकारी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने योग साधना केंद्र में शुक्रवार को प्रेसवार्ता में दी। कुलपति ने बताया कि अमेरिका और नेपाल सहित अन्य देशों में भी प्रशिक्षण केंद्र खोलने की कवायद की जा रही है। राजभवन की मंशा के अनुसार विश्वविद्यालय ने अगले दस साल का विजन तैयार किया है। विश्वविद्यालय में जल्द ही ऑनलाइन प्रशिक्षण केंद्र की शुरूआत होने जा रही है। इसके तहत अर्चक, पुरोहित, ज्योतिष सहित 37 शास्त्रों के सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू होंगे। 

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यह देश का पहला केंद्र होगा जहां 37 दुर्लभ शास्त्रों के अध्ययन व अध्यापन की सुविधा विद्यार्थियों को मिलेगी। इसके साथ ही 618 संस्कृत महाविद्यालयों को भी सरकार के सहयोग से पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले 10 वर्षों में विश्वविद्यालय पूरी तरह से डिजिटल हो जाएगा। डिजिटल करने की योजना पर लगातार कार्य किया जा रहा है। इसके तहत ढाई लाख पुस्तकें और 95 हजार पांडुलिपियों को भी डिजिटल स्वरूप दिया जाएगा। पूरे परिसर को वाईफाई युक्त करने के साथ ही 150 सीसीटीवी कैमरे से निगरानी भी कराई जा रही है। इसके लिए शिक्षकों व कर्मचारियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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