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सिलिकॉन वैली बैंक के बाद अमेरिका का दूसरा बैंक धराशायी, आर्थिक मंदी ने खटखटाया द्वार, बचाव की कोशिश में फेड

US Bank Collapse : अमेरिका में 1 सप्ताह के अंदर 2 बैंक क्रैश हुए हैं. पहला सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) और दूसरा सिग्नेचर बैंक. हालांकि अमेरिकी अथॉरटीज़ ने वादा किया है कि सब ग्राहकों को उनका पैसा मिलेगा. लेकिन 2 नामी बैंकों का गिरना दुनिया के सामने नया संकट पैदा कर रहा है.

US Bank Collapse : अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) के बाद एक और बैंक पर रेगुलटर्स ने ताला लगा दिया है. धराशायी होते बैकों में सिलिकॉन वैली के बाद सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) दूसरा सबसे बड़ा बैंक था. महज एक सप्ताह के भीतर 2 बैंकों का बिखर जाना किसी भी देश के लिए काफी भयावह स्थिति पैदा करने के लिए काफी है. इसे आर्थिक मंदी की शुरुआत के तौर पर इसलिए देखा जा रहा है, क्योंकि 2008 की मंदी भी बैंक के क्रैश होने के बाद ही देखने को मिली थी.

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हालांकि अमेरिकी अथॉरिटीज़ ने रविवार को बताया कि वे सिलिकॉन वैली बैंक में जमाकर्ताओं का पैसा बचाने के लिए क्या-क्या प्रयास कर रहे हैं. अथॉरिटीज़ ने वादा किया कि ग्राहकों की हर जरूरतों को पूरा किया जाएगा. एक संयुक्त बयान में, यूएस ट्रेजरी सहित वित्तीय एजेंसियों ने कहा कि SVB जमाकर्ताओं को सोमवार (13 मार्च) से उनके पैसों का एक्सेस दे दिया जाएगा और यह भी कहा कि अमेरिकी टैक्सपेयर्स को बिल का कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा.

US बैंकों के डूबने से ग्लोबल मार्केट में भारी गिरावट
बैंकों के क्रैश होने की खबर के बाद दुनियाभर के शेयर बाजार में भी ब्लडबाथ होते देखा गया है. भारतीय बाजार पर भी अच्छा खासा असर देने को मिला है. खबर लिखे जाने तक दोनों मुख्य सेंसेक्स गिरे हुए हैं. सेंसेक्स में लगभग 0.84 फीसदी की गिरावट है तो निफ्टी50 1.06 फीसदी गिरा हुआ है. भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर इसका ज्यादा असर दिखा. निफ्टी बैंक (Nifty Bank) में लगभग 2 फीसदी की गिरावट आई है.

उधर, यूरोप के सबसे बड़े बैंक HSBC ने सोमवार को बताया कि उसने बंद हो चुके सिलिकॉन वैली बैंक की यूनाइटेड किंगडम की इकाई का अधिग्रहण कर लिया है. यूके सरकार ने कहा कि इस अधिग्रहण में किसी करदाता के पैसों का इस्तेमाल नहीं हुआ है और ग्राहकों की जमा राशि सुरक्षित हो गई है.

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1 लाख लोग हो सकते हैं बेरोजगार
शुक्रवार को ही खबर आई थी कि सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) कोलैप्स हो गया है. यह बैंक मुख्य तौर पर टेक सेक्टर (Tech Sector) के लिए वेंचर कैपिटल फाइनेंसिंग की रीढ़ था. इसके टूटने पर कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इससे 10 हजार स्टार्टअप्स को गहरा धक्का लगेगा और लगभग 1,00,000 (1 लाख) लोगों के रोजगार को प्रभावित करेगा. अभी बाजार इसके सदमे से उबरा भी नहीं था कि रविवार को ही न्यू यॉर्क रेलुगरटर्स ने दूसरे बैंक (Signature Bank) के धराशायी होने की जानकारी दी.

रेगुलेटर्स ने घोषणा की कि रविवार को सिग्नेचर बैंक को भी सीज कर लिया गया है. इस बैंक के पास 110 बिलियन डॉलर के एसेट्स हैं. अमेरिका के इतिहास में झांकें तो पता चलता है कि यह तीसरा सबसे बड़ा बैंक फेल्योर (Third-largest bank failure) है. सिलिकॉन वैली बैंक 2008 के वित्तिय संकट के बाद टूटने वाले बैंकों में सबसे बड़ा रिटेल बैंक है.

SVB के पतन के असर का आकलन करेगी सरकार
अमेरिकी में संकटग्रस्त बैंकों के गिरने से भारत पर असर होना लाजिमी है. ऐसे में भारत सरकार भी लगातार इस पर निगरानी रख रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि वे टेक स्टार्टअप्स में लोगों से मुलाकात करेंगे और यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि भारत पर इसका क्या असर होगा.

उन्होंने ट्वीट करके कहा कि ‘बैंक का बंद होना निश्चित तौर पर दुनियाभर के स्टार्टअप के लिए परेशानी पैदा करने वाला होगा. स्टार्टअप नए भारत की इकॉनमी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. इसके असर का आकलन करने के लिए मैं इस हफ्ते भारतीय स्टार्टअप के लोगों से मुलाकात करूंगा और यह पता लगाने का प्रयास करूंगा कि नरेंद्र मोदी सरकार संकट के इस समय में उनकी किस तरह मदद कर सकती है.’

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