All for Joomla All for Webmasters
जरूरी खबर

Investment Tips: FD में पैसा अटकाने से पहले सावधान! इन नुकसान के बारे में भी होनी चाहिए जानकारी

rupees

FD Return: मनी विशेषज्ञों का मानना है कि एक शानदार निवेश विकल्प होने के बावजूद फिक्स्ड डिपॉजिट में कई नुकसान भी हैं. इसमें काफी कमियां हैं. इसलिए एक निवेशक के रूप में एक सूचित विकल्प बनाते समय उनके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता होती है. आइए जानते हैं कि एफडी से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं…

Investment: जब भारत में निवेश की बात आती है, तो बैंक एफडी सबसे लोकप्रिय निवेश विकल्प बना हुआ है. ज्यादातर भारतीय नियमित रूप से उनमें निवेश करना चुनते हैं. न केवल वेतनभोगी वर्ग, या वरिष्ठ नागरिक, यहां तक कि मिलेनियल्स भी टर्म डिपॉजिट में निवेश करने में रुचि दिखा रहे हैं. मनी विशेषज्ञों का मानना है कि एक शानदार निवेश विकल्प होने के बावजूद फिक्स्ड डिपॉजिट में कई नुकसान भी हैं. इसमें काफी कमियां हैं. इसलिए एक निवेशक के रूप में एक सूचित विकल्प बनाते समय उनके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता होती है. आइए जानते हैं कि एफडी से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं…

ये भी पढ़ें–  क्या गोद लिए बच्चे को मिल सकती है फैमिली पेंशन? जानें क्या हैं नियम, हर महीने किसे मिलेगा पैसा

कम रिटर्न

फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने का नुकसान यह है कि फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज की एक निश्चित दर प्रदान करता है, जो आमतौर पर स्टॉक या म्यूचुअल फंड जैसे अन्य निवेश विकल्पों के जरिए दिए गए रिटर्न से कम होता है.

निश्चित ब्याज दर
एफडी में आवेदन के समय ब्याज दर निर्धारित की जाती है. जब आप एक निश्चित ब्याज दर पर एफडी खोलते हैं, तो आपको अवधि के अंत तक उस दर पर ब्याज मिलता रहता है. ऐसे में इसमें ब्याज दर भी निश्चित रहती है.

लॉक-इन अवधि
एक बार जब आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं तो आपका पैसा डिपॉजिट की अवधि के लिए लॉक हो जाता है. इसका मतलब यह है कि आप अपने पैसे का उपयोग तब तक नहीं कर सकते जब तक कि अवधि समाप्त न हो जाए. अगर आपको बीच में किसी आपात स्थिति के कारण पैसा निकालना पड़े तो पेनेल्टी देनी पड़ती है और ब्याज पर भी असर पड़ता है.

समय से पहले निकासी पर पेनेल्टी
बैंक जमाकर्ताओं को अपनी एफडी से समय से पहले निकासी का विकल्प प्रदान करते हैं. हालांकि, उन्हें जमा राशि के समय से पहले निकासी के लिए शुल्क देना पड़ता है. बैंक आमतौर पर उस समय जुर्माना लगाते हैं जब आप अपनी एफडी को जल्दी वापस लेने का विकल्प चुनते हैं. जुर्माना कुल ब्याज के 1% से 3% की दर से लगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें–  तिरुपति से लेकर रामेश्वरम तक के दर्शन, IRCTC लेकर आया 11 दिन का टूर पैकेज, बस इतना है किराया

टीडीएस
सावधि जमा पर आप जो ब्याज अर्जित करते हैं वह टैक्सेबल आय है. इसका मतलब है कि आपको अर्जित ब्याज पर एक निश्चित राशि के बाद टैक्स चुकाना होगा, जिससे आपका कुल रिटर्न कम हो जाएगा.

मुद्रास्फीति
वहीं कोई भी इंवेस्टमेंट ऐसा होना चाहिए जो कि महंगाई दर को मात देता हो, लेकिन एफडी में ऐसा नहीं है. ज्यादातर परिस्थितियों में एफडी की ब्याज दर मुद्रास्फीति की दर से कम होती है. अगर फिक्स्ड डिपॉजिट से महंगाई को मात देने वाला रिटर्न नहीं मिलता है तो उसमें निवेश करना अच्छा विचार नहीं है क्योंकि वे बढ़ते खर्च को झेल नहीं पाएंगे.

लिक्विडिटी
एफडी बहुत अधिक तरल नहीं होते हैं, जिसका अर्थ है कि अगर आपको अपने पैसे का उपयोग करने की आवश्यकता है तो उन्हें जल्दी से बंद करना मुश्किल हो सकता है. पैसा एफडी में बंद है, तत्काल पैसों की जरूरत होने की स्थिति में उन्हें एक्सेस करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top