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Repo Rate फिलहाल उच्च स्तर पर बना रहेगा, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने की बड़ी टिप्पणी

RBI

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट अभी ऊंची बनी रहेगी और यह कब तक इस ऊंचे स्तर पर रहेगी यह तो समय ही बताएगा। गवर्नर ने आगे कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक संकट के मद्देनजर दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अपनी प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि की है। पढ़िए क्या है पूरी खबर।

पीटीआई, नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने रेपो रेट को लेकर बड़ी टिप्पणी की है।

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गवर्नर ने कहा कि रेपो रेट फिलहाल ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी और केवल समय ही बताएगा कि यह कितने समय तक ऊंचे स्तर पर रहेगी। इसके अलावा गवर्नर ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक संकट के मद्देनजर, दुनिया भर के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिए अपनी प्रमुख नीतिगत दरें बढ़ाई हैं।

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वर्तमान में कितना है ब्याज दर?

आपको बता दें कि आरबीआई ने अभी तक मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो रेट को 250 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ाया है। हालांकि फरवरी 2023 के बाद आरबीआई ने रेपो रेट को लगातार 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है।

दिल्ली में आयोजित कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में बोलते हुए गर्वनर दास ने कहा कि मौद्रिक नीति सक्रिय रूप से कीमत में कटौती करने वाली होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घरेलू मुद्रास्फीति में जुलाई में 7.44 प्रतिशत के उच्चतम स्तर से गिरावट सुचारू रूप से जारी रहे।

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लगातार चौथी बार रेपो रेट रहा स्थिर

इसी महीने हुआ आरबीआई की एमपीसी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। यह लगातार चौथी बार था जब रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। आपको बता दें कि आरबीआई की एमपीसी हर दो महीने में एक बार बैठक करती है।

आपको बता दें कि रेपो रेट वह रेट होता है जिससे आरबीआई देश के बैंकों को पैसा देती है। इसका मतलब आरबीआई रेपो रेट को जितना बढ़ाएगी उतनी ही अधिक रेट पर बैंक को पैसा मिलेगा और फिर बैंक हमें और आपको उतना ही अधिक ब्याज पर पैसा देगी।

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WHO,WTO,UN जैसे संथानों का कम हुआ प्रभाव

इसी सम्मेलन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक, संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संध, विश्व स्वास्थ्य संगठन, इत्यादि जैसे बहुपक्षीय संस्थानों पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इन सभी का प्रभाव वैश्विक स्तर पर कम हुआ है और इस बात को बोलने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए।

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