उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में मुख्य रूप से झिंगुरे और गहत की दाल खाई जाती है. वहीं उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मुख्य रूप से गहत की दाल और भात जिसे रस भात कहा जाता है, खाया जाता है. पथरी की बीमारी में यह दाल किसी चमत्कार से कम नहीं है.
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तनुज पांडे/ नैनीताल. देवभूमि उत्तराखंड अपनी अदम्य सुंदरता के लिए विश्वविख्यात है. यहां का रहन सहन और खानपान भी बेहद अनूठा है. यहां पाई जाने वाली कई सब्जियां और दालें बेहद स्वादिष्ट और सेहत के लिए भी लाभदायक होती हैं. ऐसी ही एक दाल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाई जाने वाली गहत की दाल है, जिसे पहाड़ी दाल भी कहा जाता है.
उत्तराखंड में सर्दियों में मुख्य रूप से खाई जाने वाली पहाड़ी गहत की दाल कई पोषक तत्वों से भरपूर है. इसके साथ ही ठंड में मुख्य रूप से गर्मी प्रदान करती है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में गहत की दाल मुख्य रूप से पाई जाती है और यह जाड़ों के दिनों में उत्तराखंड का प्रमुख भोजन भी है. उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में मुख्य रूप से झिंगुरे और गहत की दाल खाई जाती है. वहीं उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मुख्य रूप से गहत की दाल और भात जिसे रस भात कहा जाता है, खाया जाता है. पथरी की बीमारी में यह दाल किसी चमत्कार से कम नहीं है. वहीं गहत की दाल का जिक्र चरक संहिता में भी किया गया है, जहां इसे सर्दी-जुकाम और सांस संबंधित बीमारियों में भी लाभदायक बताया गया है. इसमें भरपूर प्रोटीन होने की वजह से यह शरीर को ताकत देने का काम भी करती है.
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मलेशिया, श्रीलंका और नेपाल में भी दाल की खेती
नैनीताल के डीएसबी कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ललित तिवारी ने बताया कि गहत की दाल बेहद स्वादिष्ट होने के साथ ही साथ कई सारे विटामिन और प्रोटीन से भरपूर है. गहत की दाल भारत के अलावा मलेशिया, श्रीलंका और नेपाल में भी मिलती है. गहत की दाल को भारत में मुथिरा, गहत, कोल्हू, कोलाथ, खुराली आदि नामों से जाना जाता है. उन्होंने बताया कि कहीं-कहीं गहत की दाल का सूप शादियों में भी परोसा जाता है.
कई तरह के मिनरल्स से युक्त गहत की दाल
प्रोफेसर तिवारी ने बताया कि गहत की दाल स्वाद में बेहद लाजवाब होने के साथ ही साथ कई मिनरल्स से युक्त है. इसमें आयरन, फिनौल, कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन के साथ ही साथ फास्फोरस भी उचित मात्रा में पाया जाता है. उन्होंने बताया कि इसमें कई तरह के विटामिन भी पाए जाते हैं.
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पथरी के रोग में सहायक
गहत की दाल मुख्य रूप से पथरी के रोग में सहायक है. गहत की दाल का रस पथरी के कंकड़ों को गलाने में सहायक होता है. इसी वजह से पथरी के रोग में गहत की दाल को खाया जाता है, लेकिन सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें. इसके अलावा पीलिया के रोग में भी गहत की दाल बेहद लाभप्रद मानी जाती है. बाजारों में यह आसानी से मिल जाती है. इस दाल की कीमत 170 रुपये से लेकर 200 रुपये प्रति किलो तक होती है.