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नया बिजनेस शुरू करने वालों के लिए फरिश्ते हैं ये लोग, बिना ब्याज लिए देते हैं पैसे, बस आइडिया में हो दम

एंजेल इन्वेस्टर्स किसी स्टार्टअप को गतिशीलता देने में मदद करते हैं. इनसे फंडिंग हासिल करना किसी वित्तीय संस्थान से कर्ज लेने के मुकाबले काफी फायदेमंद होता है. हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं.

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नई दिल्ली. कोई भी नया बिजनेस शुरू करने के लिए पैसे की जरूरत होती है. कई लोगों के पास यह पैसा पहले से होता है, लेकिन बहुत लोग ऐसे भी होते हैं जिनके के लिए वित्त एक बड़ी समस्या होती है. ऐसे लोगों के पास बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से पैसे लेने का विकल्प होता है. इसमें एक समस्या ये है कि अगर बिजनेस डूबा तो बैंक को पैसा लौटाने में दिन में तारे दिख जाएंगे. बैंक को आप मूल के साथ सूद यानी ब्याज भी देते हैं. 10 लाख का लोन कब 15-20 लाख का हो जाता है पता नहीं चलता.

बैंक से लोन लेने में एक समस्या यह भी है कि ज्यादातर बैंक आपको नया बिजनेस शुरू करने की बजाय पहले से स्थापित व्यवसाय को एक्सपेंड करने के लिए पैसा देते हैं. ऐसे में मध्यमवर्गीय या आर्थिक रूप से कमजोर परिवार का कोई व्यक्ति अगर बिजनेस के लिए पैसा चाहे तो उसे गैर-संगठित क्षेत्र का रुख करना पड़ता है. यहां से कर्ज लेने में कई समस्याएं होती हैं. यहां लोन आपको जल्दी मिलता है लेकिन उसकी ब्याज दर बहुत अधिक होती है. इन पर कोई रेग्युलेशन नहीं होता इसलिए यह रिकवरी के लिए मनमाने तरीके अपनाते हैं.

एंजेल इन्वेस्टर्स
उपरोक्त दोनों विकल्पों को देखने के बाद आप पाएंगे कि बिजनेस शुरू करने या बिजनेस को बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा मददगार होते हैं एंजेल इन्वेस्टर्स. ये क्या होते हैं और क्यों बेहतर होते हैं, हम इसके बारे में आगे जानेंगे. एजेंल इन्वेस्टर्स बिजनेस की शुरुआत या एक्सपेंशन के लिए आपको फंडिंग देते हैं. इसके लिए वह आपसे ब्याज की उम्मीद नहीं करते.

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नाही आपको उन्हें पैसा लौटाने की उम्मीद नहीं रखते. वह आपसे कंपनी में हिस्सेदारी मांगते हैं. यह हिस्सेदारी कितनी भी हो सकती है. यह पूरी तरह उद्यमी और इन्वेस्टर के बीच हुई समझौते पर निर्भर करता है.

क्या होता है इसका फायदा
स्टार्टअप नवगति के सीईओ और सह-संस्थापक वैभव कौशिक कहते हैं कि स्टार्टअप से फंडिंग लेना फायदेमंद हो सकता है. बकौल वैभव, इससे आपको वित्तीय सहायता के साथ-साथ अच्छी गाइडेंस भी मिलती है जो किसी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान से हासिल करना मुश्किल है. लौनटैप के चीफ बिजनेस ऑफिसर अमित वेंकेश्वर कहते हैं, “एंजेल निवेशकों से फंडिंग हासिल करना पारंपरिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तुलना में तेज़ और गतिशील लाभ प्रदान करता है.” बकौल वेंकेश्वर, “एंजेल निवेशक न केवल कैपिटल बल्कि स्ट्रैटेजिक गाइडेंस,इंडस्ट्री इनसाइट्स और तेज़ निर्णय लेने की प्रक्रिया भी प्रदान करते हैं.”

क्या है परेशानी
वैभव कौशिक के मुताबिक, एंजेल इन्वेस्टर्स से फंडिंग लेने से उद्यमी पर एक बाहरी दबाव बनता है. वह कहते हैं कि एंजेल इन्वेस्टर्स से फंडिंग का मतलब है कि आपको उनके प्रति कमिटमेंट दिखाना होगा. इसमें कंपनी की हर अपडेट इन्वेस्टर्स को पहुंचाना शामिल है. बकौल वैभव, उद्यमियों को इक्विटी अपने पास अधिक रखते हुए प्रॉफिटेबल कंपनी बनानी चाहिए ताकि उनका कंट्रोल कंपनी पर ज्यादा हो.

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ऐसा देखा गया है कि कई बार शेयरहोल्डर्स बने इन्वेस्टर्स ने संस्थापकों को ही कंपनी से अलग कर दिया था. स्टीव जॉब्स इसका बड़ा उदाहरण हैं. हालांकि, वह बाद में ऐपल में वापस आ गए थे. गौरतलब है कि एंजेल इन्वेस्टर्स से फंडिंग लेने के लिए स्टार्टअप का किसी निश्चित साइज का होना जरूरी नहीं है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि शुरुआती चरण में ही फंडिंग ले लेना स्टार्टअप को गति देने में मदद कर सकता है.

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