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Budget 2024: रियल एस्टेट सेक्टर को अंतरिम बजट में होम लोन पर टैक्स छूट सीमा बढ़ाने की उम्मीद

Budget 2024: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साल 2024 के लिए अंतरिम बजट पेश किए जाने की उम्मीद है. रियल इस्टेट सेक्टर को अंतरिम बजट से काफी उम्मीदें हैं.

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Budget 2024 : साल 2023 में भारतीय रियल एस्टेट बाजार में मजबूत वृद्धि देखी गई. बीते साल कई नए रेजीडेंशियल प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए गए और घरों की बिक्री रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई. टॉप सात शहरों में घरों की बिक्री पिछले साल 4.77 लाख यूनिट्स के लेवल पर पहुंच गई.

जिसका असर रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में भी देखा गया. निफ्टी रियल्टी इंडेक्स पिछले एक साल में लगभग 94% की बढ़त दर्ज किया. प्रेस्टीज एस्टेट प्रोजेक्ट्स और शोभा जैसे शेयरों में क्रमशः 180% और 120% की वृद्धि देखी गई.

रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनियों को केंद्रीय बजट से हमेशा काफी अधिक उम्मीदें रहती हैं, क्योंकि बजट में वित्त मंत्री जिन प्रस्तावों की घोषणा करती है उसका रियल्टी सेक्टर की डिमांड और डेवलपमेंट पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है.

रेजीडेंशियल सेक्टर के लिए इंडस्ट्री की स्थिति और रेजीडेंशियल प्रोजेक्ट्स के लिए सिंगल-विंडो मंजूरी की मांग पहले से चली आ रही है, जो इस साल भी बनी रह सकती है.

इस पर रियल एस्टेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन इश्यूज का समाधान किया जाता है वह आम तौर पर काफी धीमी गति से होता है. इसलिए अंतरिम बजट से उचित उम्मीदें रखनी चाहिए, जिसे आम चुनावों से पहले पेश किया जाएगा.

बजट 2024 से रियल एस्टेट सेक्टर की कुछ प्रमुख उम्मीदें इस प्रकार हैं:

होम लोन पर अधिकतम छूट

आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत होम लोन की ब्याज दरों पर 2 लाख की टैक्स छूट को बढ़ाकर कम से कम 5 लाख तक किया जा सकता है.

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जानकारों के मुताबिक, ऐसा करने से रेजीडेंशियल सेक्टर के लिए बाजार को और बढ़ावा मिल सकता है. खासकरके बजट होम सेगमेंट में, जिसकी मांग में महामारी के बाद से गिरावट देखी गई है.

किफायती रेजीडेंशियल को बढ़ावा

बजट 2024 में, रियल्टी सेक्टर को उम्मीद है कि वित्त मंत्री टैक्स छूट जैसे महत्वपूर्ण लाभों को विस्तारित किया जा सकता है. इससे डेवलपर्स को अधिक किफायती आवास बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

किफायती आवास के मानकों में संशोधन की जरूरत

किफायती रेजीडेंशियल को 45 लाख तक मूल्य वाले घर या अपार्टमेंट के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका कारपेट एरिया 90 वर्ग मीटर तक है, जो गैर-महानगरीय शहरों और गांवों में स्थित है, और बड़े शहरों में 60 वर्ग मीटर है.

इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के अनुसार, सरकार को शहरों के किफायती आवास सेगमेंट के भीतर असेट्स की कॉस्ट को एडजस्ट करने पर कड़ा रुख अपनाने की जरूरत है.

उदाहरण के तौर पर मुंबई जैसे महानगर के लिए 45 लाख से कम का बजट अप्रासंगिक है. इसे बढ़ाकर कम से कम 85 लाख किया जाना चाहिए. अन्य बड़े शहरों के लिए बजट कम से कम 60-65 लाख तक बढ़ाया जाना चाहिए. इस प्राइस एडजस्टमेंट के साथ, खरीदारों की पहुंच अधिक घर होंगे, जो सरकारी सब्सिडी, आईटीसी के बिना 1% जीएसटी दरों में कमी आदि जैसे अन्य लाभों का लाभ उठा सकेंगे.

किफायती आवास के लिए सरकार मुहैया कराए जमीन

इंडस्ट्री उम्मीद कर रहा है कि किफायती आवास सेगमेंट के लिए भूमि की कमी की समस्या का समाधान करने के लिए भारतीय रेलवे, पोर्ट ट्रस्ट, हैवी इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट आदि के ओनरशिप वाली कुछ जमीनें संबंधित सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किए जाने की जरूरत है.

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सरकारी जमीनों खासकरके किफायती आवासों के लिए कम कीमत पर जारी की जाएं तो इससे रियल एस्टेट की कीमतें भी काफी कम हो सकती हैं.

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