All for Joomla All for Webmasters
धर्म

Lord Shiv: इस वजह से गले में सर्प और सिर पर चंद्रमा धारण करते हैं भगवान शिव, जानिए महत्व

महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ शिव की महान रात है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा जिसका इंतजार शिव भक्तों को बेसब्री से है। आज हम शिव जी के कुछ प्रतीकों के बारे में बात करेंगे जो इस प्रकार हैं –

ये भी पढ़ें:– कच्चे तेल में तेजी से बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, इन राज्यों में बढ़ी कीमतें, यहां घटे दाम, जानिए ताजा रेट

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ ‘शिव की महान रात’ है, जब महाशिवरात्रि का पर्व इतने करीब है, तो शिव जी के कुछ प्रतीकों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, तो आइए जानते हैं –

गले में सर्प की माला

भगवान शिव गले में फूलों या फिर किसी धातु की माला धारण नहीं करते है। उन्होंने अपने गले में वासुकी नाग को धारण कर रखा है। ऐसा कहा जाता है कि यह भूत, वर्तमान और भविष्य का सूचक है। साथ ही इससे ये भी पता चलता है कि सभी तमोगुणी चीजें उनके अधीन हैं।

ये भी पढ़ें– पासपोर्ट अप्‍लाई करने जा रहे हैं तो सावधान! कहीं साइबर क्रिमिनल के चंगुल में न फंस जाएं, बचने के लिए पढ़ें खबर

तीसरी आंख

ऐसा माना जाता है कि शिवजी अपनी तीसरी आंख तब खोलते हैं, जब उनका क्रोध चरम पर होता है। उनका तीसरा नेत्र ज्ञान और उर्जा का प्रतीक है, जिसके खुलने पर प्रलय आ जाता है। हालांकि क्रोध और काम महादेव के अधीन है।

ये भी पढ़ें– Paytm का धंधा मंदा पड़ते ही MobiKwik ने मारी बाजी, बैंक अकाउंट लिंक कराए बिना दे रहा UPI की सुविधा

सिर पर चंद्रमा

भगवान शंकर के सिर पर चंद्रमा मुकुट की तरह सुशोभित है, जिस वजह से उन्हें सोम और चंद्रशेखर भी कहा जाता है। साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है और भोलेनाथ का मन उनके ही अधीन है।

जटा में गंगा

भगवान शंकर की जटा में मां गंगा विराजमान हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव जी की जटाओं से ही देवी गंगा का अवतरण स्वर्ग से पृथ्वी पर हुआ था। बता दें, गंगा माता पवित्रता और कल्याण का प्रतीक हैं, जिनके दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top