MP News: मध्य प्रदेश के विधायकों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया गया है और उन्हें एक किताब दी गई है जिससे वे सीख सकें कि सदन में वो क्या बोल सकते हैं क्या नहीं. एमपी विधानसभा ने 38 पन्नों की पुस्तक का विमोचन किया है, जिसमें 1,161 असंसदीय शब्दों और वाक्याशों का संग्रह है, जो वर्ष 1954 से लेकर अब तक विधानसभा के रेकॉर्ड से हटाये गये हैं. ये शब्द और वाक्यांश अधिकांश हिंदी के हैं. इस पुस्तक के हिसाब से विधानसभा के अंदर सदस्यों को पप्पू और मिस्टर बंटाधार जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना है
ससुर, गुंडे, ढोंगी शब्द नहीं चलेंगे
अब सदन में ढोंगी, निकम्मा, चोर, भ्रष्ट, तानाशाह और गुंडे सहित कई शब्दों और झूठ बोलना और व्यभिचार करना जैसे वाक्याशों को भी शामिल किया गया है और इसमें ‘ससुर’ शब्द का भी जिक्र किया गया है, जिसका उपयोग सदन में नौ सितंबर 1954 को किया गया था, जिसे बाद में कार्यवाही से हटा दिया गया था
इन शब्दों को किया गया है बैन
इस पुस्तक में कुल 1560 शब्द और वाक्य शामिल किए गए हैं, जिनका प्रयोग सदन की कार्यवाही के दौरान विधायक नहीं कर सकते हैं. इनमें धिक्कार, ओछी, बंटाधार, गप्पी दास, ढपोलशंखी, पागल, लल्लू मुख्यमंत्री, दस नंबरी यार, निक्कमी सरकार, बकवास, अय्याशी, मक्खनबाजी, भांड, चमचे, मिर्ची लगना, कलमुंही, सफेदपोश गुंडे, बेशर्मों की तरह बैठना, धोबी के कुत्ते, छुट्टे सांडों की तरह फिरना, टुच्चा, ढोंगी, मूर्खतापूर्ण, नालायक, जमूरा, औकात, पापी, भाड़ में जाए, भ्रष्टाचारी मुख्यमंत्री नहीं चलेगा और फालूत की बात जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे.