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स्टडी: कोरोना से ठीक होने वालों में डिप्रेशन का 40% खतरा, जान देने के ख्याल भी हैं आम

coronavirus

कोरोना से लड़ाई में जीत हासिल करने के बाद भी बीमारी से जंग खत्म नहीं होती. एक रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना से ठीक होने वालों में डिप्रेशन, नींद संबंधी समस्याओं के साथ-साथ कई तरह की परेशानियां रहती हैं. उनमें जान देने के ख्याल भी आम हैं.

  • अमेरिका में हुए शोध में सामने आई बात
  • ड्रग्स के दुरुपयोग की 20% संभावना 
  • आत्महत्या करने के भी आते हैं ख्याल

वॉशिंगटन: कोरोना (Corona) से जंग जीतने वालों की बाकी जिंदगी कैसी रहेगी, इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. हालांकि, एक अध्ययन में पाया गया है कि COVID-19 से बचे लोगों में अवसाद यानी डिप्रेशन, नींद की समस्या और ड्रग्स के दुरुपयोग का खतरा काफी ज्यादा रहता है. अमेरिका (America) में हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस का मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से सीधा रिश्ता है.

PTSD का खतरा भी ज्यादा

‘डेली मेल’ में छपी खबर के अनुसार, शोधकर्ताओं ने 150,000 लोगों पर अध्ययन किया. इस दौरान, उन्होंने पाया कि कोरोना की चपेट में आने के एक साल के भीतर लोगों के डिप्रेशन (Depression) में जाने या नींद संबंधी समस्या से जूझने की 40 फीसदी और ड्रग्स के दुरुपयोग की 20% संभावना थी. इसके अलावा, उनमें पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), आत्महत्या के ख्याल आने और पैनिक अटैक का जोखिम भी अधिक था.

संक्रमण की गंभीरता से है लिंक

शोधकर्ताओं ने बताया कि संक्रमण (Infection) जितना गंभीर था, मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) संबंधी समस्या सामने आने की उतनी ही अधिक संभावना थी. जिससे पता चलता है कि कोरोना सीधे तौर पर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. शोध पेपर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित किया गया है. हालांकि, ये शोध केवल अवलोकन पर आधारित है और इसमें इसके पीछे के कारण का विस्तार से जिक्र नहीं है. बता दें कि Depression और Anxiety पहले से ही लॉन्ग कोविड से जुड़े हुए हैं.

150,000 लोगों पर हुआ शोध

सेंट लुइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 150,000 ऐसे रिटायर्ड सैन्यकर्मियों पर शोध किया, जिनकी उम्र 60 के आसपास है और जिन्हें जनवरी 2021 तक कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. इन लोगों पर पूरे एक साल तक निगरानी रखी गई. उनकी तुलना 5.6 मिलियन ऐसे सैन्यकर्मियों से की गई, जो उस अवधि तक संक्रमित नहीं हुए थे. इस दौरान, शोधकर्ताओं ने पाया कि COVID से जंग जीतने वाले 1000 लोगों पर अवसाद के करीब 15 अतिरिक्त मामले थे.

इसकी संभावना भी अधिक

इसके अलावा, वायरस से शिकार लोगों में आत्महत्या जैसे ख्याल भी देखने को मिले, ये आंकड़ा सामान्य से 24% ज्यादा था. उन्होंने ढंग से नींद न आने जैसी परेशानियों के बारे में भी बताया. इतना ही नहीं, इन लोगों में शराब और ड्रग्स के दुरुपयोग की संभावना भी दूसरों की तुलना में काफी ज्यादा देखी गई. गौरतलब है कि कोरोना के साइड इफेक्ट्स को लेकर पहले भी कई शोध हो चुके हैं. ये बात भी सामने आई है कि कोरोना पीड़ित व्यक्ति के लिए मोटापा जानलेवा साबित हो सकता है. 

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