मल्टीबैगर रिटर्न देने की संभावना के साथ तैयार पोर्टफोलियो को कम-से-कम 5 साल का समय मिलना चाहिए. संभव है कि इस दौरान रिटर्न कई बार उम्मीद से कम और नेगेटिव में भी जाए.
नई दिल्ली. शेयर बाजार में निवेश के पीछे अधिकांश लोगों का एक ही मकसद होता है और वह मुनाफा. इक्विटी में पैसा लगाकर निवेशक महंगाई को मात देने वाला रिटर्न प्राप्त करते हैं और लंबी अवधि में एक शानदार फंड तैयार कर सकते हैं. कई शेयर ऐसे भी होते हैं जो निवेशकों को केवल महंगाई से मुकाबले के लिए तैयार नहीं करते बल्कि इतना जबरदस्त रिटर्न देते हैं कि निवेशक बहुत थोड़े समय में अपने निवेश की वैल्यू कई गुना बढ़ा लेता है, ये मल्टीबैगर स्टॉक कहलाते हैं.
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अमूमन कोई भी मल्टीबैगर स्टॉक रातों-रात यह तमगा हासिल नहीं करता है और इसमें कुछ समय लगता है. आमतौर पर यह समय सालों में होता है. हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि आपने जिस शेयर के मल्टीबैगर होने का अनुमान लगाया है वह कंपनी सभी संभावनाओं के बावजूद बैक गियर में चली जाए. इसका असर शेयर मार्केट में उसके स्टॉक्स की वैल्यू पर भी होता है और आपको नुकसान उठाना पड़ता है.
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पोर्टफोलियो कब तक देगा मल्टीबैगर रिटर्न
अगर आपने अपने पोर्टफोलियो में मल्टीबैगर रिटर्न की संभावना वाले शेयरों से तैयार किया है तो कम-से-कम 5-7 साल का समय आपको देना होगा. इस बीच आपका पोर्टफोलियो 10 फीसदी से कम या नेगेटिव रिटर्न भी दे सकता है, लेकिन आपको इस बात का ध्यान देना होगा कि उसका रिटर्न बेंचमार्क इंडेक्स के मुकाबले कैसा है. बेंचमार्क इंडेक्स से तात्पर्य निफ्टी या सेंसेक्स आदि हैं. मल्टीबैगर पोर्टफोलियो को बेंचमार्क से तकरीबन 15-20 फीसदी अधिक रिटर्न देना चाहिए. मान लीजिए सितंबर 2016 से सितंबर 2022 के बीच निफ्टी ने करीब 11 फीसदी का सीएजीआर जेनरेट किया. इस हिसाब से निफ्टी में 10 लाख रुपये का निवेश इस दौरान 20.8 लाख रुपये हो गया. अब अगर किसी पोर्टफोलियो ने इस अवधि में 25 फीसदी का रिटर्न दिया है तो वह रकम बढ़कर 38 लाख रुपये हो गई होगी.
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प्लान फेल होने पर क्या करें
मल्टीबैगर स्टॉक एक सीधी लाइन में नहीं चलते हैं. कई बार ऐसा होगा जब इसमें गिरावट आएगी. उदाहरण के लिए, बजाज फाइनेंस के शेयर की कीमत सितंबर 2016 और सितंबर 2022 के बीच कम से कम 6 बार 15 प्रतिशत से अधिक घटी लेकिन इस दौरान शेयर ने 522 फीसदी का शुद्ध रिटर्न भी दिया. निवेशक को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या शेयरों में गिरावट कंपनी के फंडामेंटल्स में आए बदलावों के कारण हुई है. इसलिए निवेशक को हमेशा उस कंपनी के वित्त पर नजर रखनी चाहिए जिसमें वह निवेशित है. साथ ही उसे ब्रोकरेज रिपोर्ट, एनुअल रिपोर्ट्स और संस्थागत निवेशकों के लिए अर्निंग कॉनकॉल ट्रांसक्रिप्ट को देखना चाहिए. अगर कंपनी की सभी बुनियादी चीजें दुरुस्त हैं और उसके बावजूद किसी तर्कहीन कारण से शेयरों में गिरावट है तो उस शेयर में निवेश को बरकरार रखना चाहिए.