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सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगाया बैन, जानें- सरकार के इस कदम के पीछे क्या है वजह?

सरकार ने घरेलू सप्लाई बढ़ाने के लिए नॉन -बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया है. सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगाया है.

सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया.

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खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गैर-बासमती उसना चावल और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं होगा. कुल निर्यात में दोनों किस्मों का हिस्सा बड़ा है.

देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की एक अधिसूचना के अनुसार, ‘‘गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) की निर्यात नीति को मुक्त से बैनित कर दिया गया है.’’

मंत्रालय ने कहा कि उचित कीमतों पर पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गैर बासमती सफेद चावल की निर्यात नीति में संशोधन किया गया है.’’ इस कदम का उद्देश्य आगामी त्योहारी मौसम में कम कीमत और पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना है.

घरेलू बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और स्थानीय कीमतों में वृद्धि को कम करने के लिए, सरकार ने तत्काल प्रभाव से निर्यात नीति में संशोधन कर इसे ’20 फीसदी के निर्यात शुल्क के साथ मुक्त’ से ‘निषेध’ कैटेगरी में कर दिया है.

बयान में कहा गया है, ‘‘चावल की घरेलू कीमतें बढ़ रही हैं. खुदरा कीमतें एक साल में 11.5 फीसदी और पिछले महीने में तीन फीसदी बढ़ी हैं.

कीमत कम करने के साथ-साथ घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आठ सितंबर, 2022 को गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया गया था.

हालांकि, इस किस्म का निर्यात वित्तवर्ष 2022-23 की सितंबर-मार्च अवधि में बढ़कर 42.12 लाख टन हो गया, जो पिछले वित्तवर्ष की सितंबर-मार्च अवधि के दौरान 33.66 लाख टन था.

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चालू वित्तवर्ष की पहली तिमाही में लगभग 15.54 लाख टन चावल का निर्यात किया गया, जो कि एक साल पहले की अवधि में केवल 11.55 लाख टन था. यानी इसमें 35 फीसदी की वृद्धि हुई.

बयान में कहा गया है, ‘‘निर्यात में इस तेज वृद्धि का कारण भू-राजनीतिक परिदृश्य, अल नीनो धारणा और अन्य चावल उत्पादक देशों में विषम जलवायु परिस्थितियों आदि के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई तेजी हो सकती है.’’

गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन से देश में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम होंगी.

हालांकि, गैर-बासमती चावल (उसना चावल) और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जो चावल निर्यात का बड़ा हिस्सा है.

इसमें कहा गया है, ‘‘इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाभकारी कीमतों का लाभ मिलता रहेगा.’’

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्तवर्ष 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात 4.8 अरब डॉलर का हुआ था, जबकि मात्रा के लिहाज से यह 45.6 लाख टन था.

इसी तरह गैर-बासमती का निर्यात पिछले वित्तवर्ष में 6.36 अरब डॉलर रहा. मात्रा के हिसाब से यह 177.9 लाख टन था.

भारत के गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात के प्रमुख गंतव्यों में थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं.

डीजीएफटी अधिसूचना के अनुसार, हालांकि इस चावल की खेप को कुछ शर्तों के तहत निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी. इसमें इस अधिसूचना से पहले जहाज पर चावल की लदान शुरू होना शामिल है.

इसमें कहा गया है कि अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की मंजूरी और अन्य सरकारों के अनुरोध पर निर्यात की भी अनुमति दी जाएगी.

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डीजीएफटी ने यह भी कहा कि उन खेपों के लिए निर्यात की अनुमति है जहां शिपिंग बिल दाखिल किया गया है और जहाज पहले ही भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुके हैं और उनका रोटेशन नंबर इस अधिसूचना से पहले आवंटित किया गया है.

ऐसे निर्यात की भी अनुमति है जहां माल की खेप, इस अधिसूचना जारी होने से पहले सीमा शुल्क को सौंप दी गई है और उनके सिस्टम में पंजीकृत है.

डीजीएफटी ने यह भी कहा कि उसने सेनेगल, गाम्बिया और इंडोनेशिया को टूटे हुए चावल के निर्यात के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि इस साल 27 जुलाई तक बढ़ा दी है.

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