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GDP Data पर सवाल उठाने वालों को वित्त मंत्री ने दिया जवाब, कह दी ये बात…

GDP Data: मुख्य आर्थिक सलाहकार (CAE) वी अनंत नागेश्वरन ने अप्रैल-जून तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़ों में Statistical Discrepancy को लेकर हो रही आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि जब उसी सांख्यिकीय अथॉरिटी ने 2020 की पहली तिमाही में सबसे गंभीर संकुचन की सूचना दी थी, तब विरोधियों ने उसे अपनी मंशा के अनुकूल होने की वजह से विश्वसनीय बताया था.

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हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश की आर्थिक ग्रोत चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.8 फीसदी रही. एक साल पहले की समान तिमाही में यह 13.1 फीसदी रही थी.

नागेश्वरन ने एक लेख में कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 2.8 फीसदी की विसंगति एक ‘प्लस’ चिन्ह है. यह इंगित करता है कि व्यय पक्ष ने आय पक्ष का केवल 97.2 फीसदी ब्योरा दिया है. इसका मतलब यह नहीं है कि 2.8 फीसदी, जिसका ब्योरा नहीं दिया गया, उसका वजूद ही नहीं है.

आंकड़ा में नहीं है कोई हेरफेर

इस लेख के सह-लेखक एवं वरिष्ठ सरकारी अर्थशास्त्री राजीव मिश्रा ने कहा है कि यह आंकड़ा अस्तित्व में है और आगामी तिमाहियों में इसकी व्याख्या की जा सकती है. इसी तरह, पिछली आठ तिमाहियों में नकारात्मक विसंगतियां देखी गई हैं. इसका मतलब है कि व्यय पक्ष की अधिक व्याख्या की गई है और इसमें सामंजस्य बैठाने की जरूरत है.

सीएजीआर 5.3 फीसदी सालाना

लेख के मुताबिक, लंबी अवधि में नकारात्मक और सकारात्मक पहलू एक-दूसरे को संतुलित करते हैं. वित्त वर्ष 2011-12 की पहली तिमाही और वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के बीच, आय और व्यय के बीच वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (तिमाही-दर-तिमाही) का सीएजीआर 5.3 फीसदी सालाना था.

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जीडीपी को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिखाया

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लेख के मुताबिक, ऐसी स्थिति में यह कहना सही नहीं है कि जीडीपी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. आय पक्ष का दृष्टिकोण हमेशा व्यय पक्ष से अधिक नहीं रहा है. 2011-12 से 6.4 फीसदी से (-) 4.8 फीसदी के बीच विसंगतियों का उचित वितरण हुआ. नवीनतम तिमाही की विसंगति इसके भीतर ही निहित है. इसे वेरिफाई करना आसान है.

वित्त मंत्री ने ट्विटर पर किया शेयर 

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CAE) की इन टिप्पणियों को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व नाम ट्विटर) के अपने आधिकारिक खाते पर भी साझा किया है.

जीडीपी ग्रोथ रेट के बारे में चिंता जताई

यह लेख भारत के आर्थिक प्रदर्शन पर शुरू हुई बहस के संदर्भ में लिखा गया है. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं अर्थशास्त्री अशोक मोडी ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के लिए देश की जीडीपी ग्रोथ रेट के बारे में चिंता जाहिर की थी. 

आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहेगी

उन्होंने अपने लेख में यह दलील दी है कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) चुनिंदा आंकड़ों का इस्तेमाल कर रहा है, जिसकी अधिक व्यापक रूप से जांच करने पर, पिछले महीने सरकार द्वारा घोषित 7.8 फीसदी की तुलना में जीडीपी ग्रोथ दर काफी कम नजर आती है.

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उन्होंने कहा कि वास्तव में ग्रोथ कम है, असमानताएं बढ़ रही हैं और नौकरी की कमी गंभीर समस्या बनी हुई है. इसके पहले नागेश्वरन ने पिछले हफ्ते कहा था कि मानसूनी बारिश कम रहने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहेगी.

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