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क्‍या है हलाल सर्ट‍िफ‍िकेट? ज‍िसके दम पर प्राइवेट कंपन‍ियों की हो रही मोटी कमाई

What is Halal Certification​: इस समय हलाल सर्टिफिकेट (Halal Certification) को लेकर कई चर्चाएं चल रही हैं. क्या आपको पता है कि ये हलाल क्या होता है और इस समय क्यों इसकी चर्चा तेज हो रही है. यूपी सरकार की तरफ से हलाल सर्टिफिकेट को बैन कर दिया है. अब यूपी में किसी भी प्रोडक्ट पर आपको हलाल सर्टिफिकेशन देखने को नहीं मिलेगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कितने करोड़ की हलाल अर्थव्यवस्था है और यूपी में इसका मार्केट कितना बड़ा था.

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शायद आपको इन सभी बातों के बारे में न पता हो, लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि भारत में हलाल मार्केट कितना बड़ा है-

कौन देता है हलाल सर्टिफिकेट?

आपको बता दें कई इस्लामिक देशों में हलाल सर्टिफिकेशन सरकार की तरफ से दिया जाता है. वहीं भारत में FSSAI का सर्टिफिकेशन लगभग सभी खाने के सामानों पर देखने को मिल जाता है. फिलहाल भारत में FSSAI की तरफ से हलाल सर्टिफिकेशन नहीं दिया जाता है. इस समय भारत में दर्जन भर कंपनियां हलाल सर्टिफिकेशन बांट रही हैं. 

भारत की प्रमुख हलाल कंपनियां-

>> हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

>> हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

>> जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र- जमीयत उलमा-ए-हिंद की एक राज्य इकाई

>> जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट

भारत में हलाल मार्केट 8.3 लाख करोड़ का

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर ग्लोबल हलाल फूड मार्केट की बात की जाए तो साल 2021 में 1978 अरब डॉलर की थी. वहीं, साल 2027 तक यह अर्थव्यवस्था 3907.7 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है. वहीं, भारत में हलाल प्रोडक्ट की इकोनॉमी करीब 100 अरब डॉलर यानी 8.3 लाख करोड़ रुपये की है. इस समय भारत में हलाल मार्केट में काफी तेजी देखने को मिल रही है. 

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क्या होता है हलाल?

हलाल क्या होता है? शायद आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा. बता दें जिस भी जानवर को जिबह करके मारा जाता है. उस मरे हुए जानवर के मांस को हलाल कहा जाता है. 

जिबह क्या होता है?

जब भी किसी जानकर के गले को पूरी तरह काटने की जगह उसे रेत दिया जाता है. इसको जिबह कहते हैं. जिबह के बाद में उसके शरीर का सारा खून बाहर निकल जाता है. इस तरह से मारे गए जानवर के मांस को हलाल मीट वाला सर्टिफिकेशन मिलता है. 

क्या होता है हलाल सर्टिफिकेशन?

अब सवाल आता है कि हलाल सर्टिफिकेशन क्या होता है? हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट को मुस्लिम वर्ग के लोग बिना किसी संकोच के खा सकते हैं. साल 1947 में भारत में पहली बार हलाल सर्टिफिकेशन की शुरुआत हुई थी. 

किस तरह के प्रोडक्ट पर होना चाहिए हलाल सर्टिफिकेशन?

ऐसे आरोप लगे हैं कि बाजार में कई संस्थाएं मार्केट में बिकने वाले सामान्य से प्रोडक्ट पर भी इस तरह के सर्टिफिकेट दे रही हैं. इस पर यूपी सरकार ने कहा है कि सिर्फ मीट की बिक्री पर ही इस तरह के सर्टिफिकेशन होना चाहिए. बाजार में बिकने वाले अन्य तमाम प्रोडक्ट्स पर इस तरह के सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं है. 

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यूपी में कितना बड़ा है हलाल मार्केट?

अगर यूपी की बात की जाए तो यहां पर हलाल सर्टिफिकेट लेने वाले होटल और रेस्तरां की संख्या लगभग 1400 है. वहीं, यूपी में हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट का मार्केट करीब 30 हजार करोड़ का है. देश की विमानन सेवा वाली कंपनियां और स्विगी-जोमैटो, फूड चेन कंपनियां इसके बिना काम नहीं करती हैं. 

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