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Hit and run law: केवल ड्राइवरी से घर चलाने वाले क्‍यों हड़ताल पर उतर आए, जानें इसकी वजह

केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून का विरोध धीरे-धीरे कई राज्‍यों में बढ़ता जा रहा है. केवल ड्राइवरी से मिलने वाली सेलरी से किसी तरह घर चलाने वाले ड्राइवर हिट एंड रन कानून का विरोध क्‍यों कर रहे हैं, हड़ताल जैसा सख्‍त कदम क्‍यों कर रहे हैं. यहां जानें…

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Know reasons for protest against hit and run law. केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून का विरोध धीरे-धीरे कई राज्‍यों में बढ़ता जा रहा है. हड़ताल में शामिल ड्राइवर जहां-तहां सड़कों पर ट्रक खड़ाकर घर जा रहे हैं. डाइवरों के समर्थन में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस (गैर राजनीतिक) भी उतर आयी है. सवाल उठता है कि केवल ड्राइवरी से मिलने वाली सेलरी से किसी तरह घर चलाने वाले ड्राइवर हिट एंड रन कानून का विरोध क्‍यों कर रहे हैं, हड़ताल जैसा सख्‍त कदम क्‍यों कर रहे हैं. यहां जानें…

सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसर मौजूदा समय देशभर में करीब 95 लाख ट्रक पंजीकृत हैं. लेकिन इनको चलाने के लिए ड्राइवरों की करीब 27 फीसदी की कमी है. यानी इन ट्रकों को चलाने के लिए केवल 68 से 70 लाख ड्राइवर हैं. यही वजह है कि एक साथ रोड में 70 लाख ट्रक ही चलते हैं, अन्‍य खड़े रहते हैं. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस के अनुसार ऐसे में हिट एंड रन का कानून ड्राइवरों के लिए मुसीबत बन सकता है. यही वजह है कि ड्राइवरों ने विरोध शुरू कर दिया है. पहले से ही इस पेशे में कम लोग ही आना चाहते हैं, इस कानून के बाद संख्‍या और भी कम हो सकती है. सालाना ट्रक 100 अरब किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करते हैं.

क्‍या है हिट एंड रन कानून और क्या हुए बदलाव?

संसद द्वारा पास और कानून बनी भारतीय न्याय संहिता में Hit and run new law के मामलों में ‘लापरवाही से मौत’ के मामले में विशेष प्रावधान किए गए हैं. नए कानून के अनुसार यदि ड्राइवर के तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने से किसी मौत होती है और ड्राइवर पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना भाग जाता है, तो 10 साल तक की कैद और 7 लाख रुपया जुर्माना लगाया जा सकता है.

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पहले क्‍या था क्या कानून?

आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), ड्राइवर की पहचान के बाद 304ए (लापरवाही से मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत मामला दर्ज किया जाता था, इसमें दो साल तक सजा का प्रावधान था.

इस वजह से ड्राइवर हड़ताल पर उतर आए

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस के अनुसार हादसा होने के मौके पर भीड़ जमा हो जाती है. हादसे में प्रभावित व्‍यक्ति के प्रति लोगों की सहानुभूति होती है और ऐसे में अगर ट्रक डाइवर रुक जाएगा तो आशंका होती है कि भीड़ की गुस्‍से की चपेट में आसकता है. इस वजह से ड्राइवर विरोध में उतर आए हैं.

आम आदमी पर पड़ सकता है हड़ताल का असर

ट्रांसपोर्ट एक्‍सपर्ट अनिल छिकारा के अनुसार अगर हड़ताल लंबी चलती है तो इसका असर आम आदमी के जीवन पर पड़ सकता है. ट्रकों की हड़ताल होने से दूध, सब्जी और फलों की आवक प्रभावित होगी, जिससे इनकी कीमतों पर इसका असर पड़ेगा. वहीं, पेट्रोल-डीजल की सप्लाई भी प्रभावित हो सकती है, इसके अलावा काफी संख्‍या में निजी बसें कांट्रैक्‍ट पर रोडवेज से अटैच हैं, ये भी प्रभावित हो सकती हैं.

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस की दलील

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस के अनुसार कई हिट-एंड-रन मामलों में चालक दुर्घटना की जिम्मेदारी से बचने के इरादे से नहीं भागता है.

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वे क्रोधित भीड़ द्वारा उत्पन्न संभावित खतरे से अपनी जान बचाने के लिए भागते हैं. सड़क पर सुरक्षा की कमी उन्हें ऐसे कदम उठाने पर मजबूर करती है. उल्लेखनीय है कि कई मामलों में ड्राइवर स्वेच्छा से पुलिस के सामने आत्मस्मर्पण कर देता है और कानून के अनुसार आवश्यक अदालती कार्यवाही से गुजरता है.

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