All for Joomla All for Webmasters
वित्त

PL Vs OD: पैसे की जरूरत पड़े तो पर्सनल लोन लें या ओवरड्राफ्ट? जानें दोनों में क्या बेहतर!

Money

हर किसी के जीवन में आकस्मिक जरूरतें आती हैं और ऐसे में पैसों का मैनेजमेंट सबसे पहले प्रभावित होता है. इस कारण लोग लोन लेने पर मजबूर होते हैं. अभी के समय में लोगों के पास लोन के कई विकल्प मौजूद हैं, जो जरूरत समेत कई अन्य शर्तों पर निर्भर करते हैं. उपलब्ध लोन विकल्पों में पर्सनल लोन और ओरड्राफ्ट काफी लोकप्रिय हैं.

ये भी पढ़ें– चक्रवृद्धि ब्‍याज आपको बनाएगा करोड़पति,इस स्‍कीम में हर साल लगाएं ₹1.5 लाख, रिटायरमेंट पर होगा पैसा ही पैसा

पर्सनल लोन बनाम ओवरड्राफ्ट

पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट दोनों लोगों की आकस्मिक जरूरतें पूरा करने में सक्षम विकल्प हैं. कई बार लोग ऐसा समझ लेते हैं कि पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट एक ही चीज हैं, लेकिन यह सच नहीं है. कर्ज के दोनों विकल्पों में कुछ समानताएं हैं तो कई असमानताएं भी हैं. दोनों की अपनी खासियतें हैं तो अपनी खामियां भी हैं. आपके लिए पर्सनल लोन बेहतर है या ओवरड्राफ्ट, यह कई बातों पर निर्भर करता है. आज हम आपको कर्ज के इन दोनों विकल्पों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आपको उनमें फर्क करने और अपने लिए बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलेगी.

क्या होता है लोन?

लोन एक तय रकम है, जो बैंक या फाइनेंस कंपनियां आपको तय शर्तों पर उधार देती हैं. लोन की रकम के अलावा समय/टेन्योर भी पहले से तय रहता है. रकम और समय के हिसाब से लोन की ईएमआई तय की जाती है, जो ग्राहक को हर महीने चुकाना पड़ता है. मंथली ईएमआई में मूल धन और ब्याज दोनों का हिस्सा शामिल होता है. शुरुआत में ईएमआई में ब्याज का वेटेज ज्यादा होता है. इस तरह धीरे-धीरे ईएमआई रिपेमेंट शेड्यूल के हिसाब से ब्याज समेत पूरे कर्ज का भुगतान किया जाता है.

क्या होता है पर्सनल लोन?

पर्सनल लोन के मामले में कर्जदार को एक ही बार में निश्चित रकम मिल जाती है.

ये भी पढ़ें– एक साल की FD पर करनी है तगड़ी कमाई तो इस बैंक ने बढ़ा दिया है ब्याज, ₹5 लाख के निवेश पर इतना मिलेगा रिटर्न

आप उस रकम का अपने मनमुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं. पर्सनल लोन के मामले में ब्याज की दर फिक्स होती है. यानी लोन के रिपेमेंट टेन्योर में ब्याज दर में घट-बढ़ नहीं होती है. पर्सनल लोन एक तरह का अनसिक्योर्ड लोन होता है, यानी इसके लिए आपको कुछ गिरवी नहीं रखना होता है. बैंक या वित्तीय संस्थान क्रेडिट स्कोर, सैलरी, इनकम आदि के हिसाब से ग्राहक की कर्ज चुकाने की क्षमता का आकलन करते हैं और इन्हीं पैमानों से लोन की रकम व ब्याज दर तय होती है.

क्या है ओवरड्राफ्ट?

ओवरड्राफ्ट एक तरह का सिक्योर्ड लोन है. इसमें कर्जदारों को बैंकों की ओर से एक क्रेडिट लिमिट मिलती है. ओवरड्राफ्ट की क्रेडिट लिमिट ग्राहक के करेंट अकाउंट के बैलेंस या फिक्स्ड डिपॉजिट के ऊपर निर्भर करती है. आम तौर पर बैंक करेंट अकाउंट के बैलेंस या फिक्स्ड डिपॉजिट की रकम के एक हिस्से के बराबर लिमिट ऑफर करते हैं. ग्राहक अपनी जरूरत के हिसाब से लिमिट के समाप्त होने तक पैसे विदड्रॉ कर सकते हैं.

पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट में अंतर?

पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन है, जबकि ओवरड्राफ्ट सिक्योर्ड. पर्सनल लोन की लिमिट नहीं होती है, लेकिन ओवरड्राफ्ट की तय लिमिट होती है. लंबी अवधि के लिए पैसों की जरूरत हो तो पर्सनल लोन काम की चीज है. ओवरड्राफ्ट कम समय की जरूरतों के लिए बेहतर विकल्प है. पर्सनल लोन में पैसे डिस्बर्स होते ही पूरी रकम पर ब्याज चलने लगता है. ओवरड्राफ्ट में आप जितनी रकम का इस्तेमाल करते हैं, उसी पर ब्याज लगता है.

ये भी पढ़ें– रिटायरमेंट के लिए नहीं बचाई फूटी कौड़ी, फिर भी शान से कटेगा बुढ़ापा, SBI का धांसू प्‍लान, घर बैठे मिलेगा पैसा

पर्सनल लोन में मासिक आधार पर ब्याज कैलकुलेट होता है, जबकि ओवरड्राफ्ट में ब्याज का कैलकुलेशन डेली बेसिस पर होता है. पर्सनल लोन का पुनर्भुगतान मंथली ईएमआई के माध्यम से होता है. ओवरड्राफ्ट में आप कभी भी अपने अकाउंट में पैसे जमा कर भुगतान कर सकते हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top