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Tax Saving : एनएससी में पैसा लगाना ठीक या ELSS में निवेश है फायदे का सौदा?

income tax

नई दिल्‍ली. हर आयकरदाता चाहता है कि उसका ज्‍यादा से ज्‍यादा टैक्‍स बचे. टैक्‍स बचाने और बेहतरीन रिटर्न देने वाली कई योजनाएं हमारे देश में चल रही हैं.

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टैक्‍स सेविंग एफडी (Tax-Saving FD), इंश्‍योरेंस (Insurance), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) और इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम (ELSS) में किए गए निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्‍स छूट मिलती है. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि टैक्‍स बचाने को हमें कौन सा विकल्‍प अपनाना चाहिए. आज हम एनएसई और ईएलएसएस में से किसे टैक्‍स सेविंग के लिए चुनें, पर बात करेंगे.

एनएससी या ईएलएसएस में पैसा लगाने से पहले आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि किसी योजना में निवेश करने पर आपको टैक्‍स बेनिफिट तभी हो सकता है जब आप पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था अपनाकर इनकम टैक्‍स रिटर्न भरते हैं. अगर आप न्‍यू टैक्‍स रिजीम को चुनते हैं तो आपको टैक्‍स बेनिफिट नहीं मिलेंगे. इसलिए अगर टैक्‍स बचाने को इनवेस्‍टमेंट कर रहे हैं तो अपनी आईटीआर पुरानी टैक्‍स व्‍यवस्‍था अपनाकर ही भरें.

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) टैक्स सेविंग के लिहाज से बेहतर विकल्प है. ईएलएसएस ने पिछले पांच साल में औसतन 18 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है. इसका लॉक-इन पीरियड सिर्फ 3 साल का है, जो बाकी टैक्स सेविंग ऑप्शन्स से कम है. ईएलएसएस में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.

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राष्‍ट्रीय बचत पत्र

राष्‍ट्रीय बचत पत्र यानी एनएससी (NSC) भी सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न देने वाली स्‍कीम है. एनएससी में 1000 रुपए से निवेश की शुरुआत की जा सकती है. सालभर में एनएसई में लगाए 1.5 लाख रुपये पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्‍स छूट मिलती है. एनएसई पर फिलहाल 7.7 फीसदी ब्‍याज दिया जा रहा है. हां, यह जरूर जान लेना चाहिए कि एनएसई की ब्‍याज आय पर आपको इनकम टैक्‍स देना होगा.

कहां लगाएं पैसा?

लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, टैक्‍स2विन के को-फाउंडर और सीईओ अभिषेक सोनी का कहना है कि जो लोग जोखिम उठा सकते हैं, वे ईएलएसएस में पैसा लगा सकते हैं क्‍योंकि इसमें ज्‍यादा रिस्‍क के साथ ज्‍यादा रिटर्न भी मिलता है. वहीं, ऐसे निवेशक जो बिना जोखित उठाए कहीं पैसा लगाने चाहते हैं, एनएसई में निवेश करना चाहिए. सोनी का कहना है कि निवेशक निवेश अवधि के हिसाब से भी इन दोनों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं. ईएलएसएस का लॉक-इन पीरियड 3 साल का है जबकि एनएससी का पांच साल का.

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इनवेस्‍टमेंट और टैक्‍स एक्‍सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि ईएलएसएस छोटी अवधि के लिए जोखिम भरा होता है. वहीं, इसमें लंबी अवधि में निवेशक को एनएससी की तुलना में बेहतर रिटर्न देने की क्षमता है. ईएलएसएस या किसी अन्‍य म्‍यूचुअल फंड में अगर कोई व्‍यक्ति 8 से 10 साल के लिए पैसा लगाता है तो ज्‍यादा फायदा होता है.

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