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Beginner’s Guide: म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहती हैं? 5 बातें जो गांठ बांधनी होंगी: एक्सपर्ट सलाह

Mutual Fund Investment tips from expert for women: म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मन बना रही हैं तो इसके लिए आपको न सिर्फ अपने एंड पर बढ़िया रिसर्च कर लेनी चाहिए बल्कि आप जिस फंड हाउस के जरिए निवेश करेंगी, उसके बारे में भी पूरी जानकारी लें. ऐसे कई बिन्दु हैं जो एक महिला निवेशक को पता होे चाहिए. आइए जानें…

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Five Mutual Fund advice for women investors: महिलाएं बचत करती हैं लेकिन निवेश से कुछ बचती रही हैं. हालांकि विभिन्न सर्वे यह बताते हैं महिलाओं ने निवेश की जर्नी की शुरुआत कर दी है. महिलाओं का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि वह फाइनेंशली लिटरेट हो और अपने व परिवार से जुड़े वित्तीय फैसले स्वंय ले. ऐसे में निवेश के सफर पर चलते हुए जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश का फैसला करती हैं तो इसके लिए निश्चित तौर पर रिसर्च कर रही होंगी. या किसी फाइनेंशल प्लानर की मदद ले रही होंगी. आइए बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के जरिए जाने कि म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.

1- म्यूचुअल फंड को लेकर आदिल कहते हैं कि म्यूचुअल फंड आपके पैसे को निवेश करने का एक शानदार तरीका है क्योंकि ये अलग अलग परिसंपत्ति वर्गों जैसे ऋण, इक्विटी, कमोडिटी, डेरिवेटिव और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश का मौका देता है. यहां तक कि मुद्रास्फीति को मात देने वाला रिटर्न देते हैं म्यूचुअल फंड. वह कहते हैं कि अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें गंभीर रूप से प्राथमिकता दें. इनमें बच्चों की शिक्षा, घर खरीदना, सेवानिवृत्ति के लिए बचत करना या आपातकालीन निधि बनाना शामिल हो सकता है. 

2- अपनी स्थिति-परिस्थिति को समझें कि आप कितना जोखिम ले सकती हैं. यानी, आय को लेकर क्या स्टैबिलिटी है, आयु, फाइनेंशल दायित्व जैसे कारकों के आधार पर अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का विश्लेषण करें. अगर आप युवा हैं तो आप अधिक जोखिम उठा सकती हैं और इक्विटी फंड के साथ हाई रिटर्न ले सकती हैं. युवा से यहां हमारा तात्पर्य 22 से 34 साल की उम्र की महिलाओं से है. मगर आप अगर रिटायरमेंट के करीब हैं तो डेट फंड जैसे अधिक स्थिर विकल्पों को चुन सकती हैं.

3- म्यूचुअल फंड प्रॉ़डक्ट्स को लेकर रिसर्च करें. बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंडों पर खूब जानकारी हासिल करें. ऐसा करते समय, हिस्टोरिकल परफॉर्मेंस, व्यय अनुपात यानी expense ratio, फंड हेल्प मैनेजर की एक्सपरटीज, इन्वेस्टमेंट फिलॉसफी और रिटर्न में स्टैबिलिटी जैसे पैरामीटरों पर फंड्स का मूल्यांकन करें.

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आदित्य सलाह देते हैं कि निवेश से जुड़े जोखिमों को दूर रखने के लिए किसी अच्छी और मजबूत रेपुटेशन वाले और अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले फंड हाउसों को ही चुनना चाहिए. 

4- कितनी लागत, फीस लग रही है? इस बिन्दु को इग्नोर करना सही नहीं. म्यूचुअल फंड निवेश से जुड़ी कुल लागत पर ध्यान दें. आमतौर पर, फंड में व्यय अनुपात होता है, निवेश मैनेज करने के लिए फंड हाउसों द्वारा लगाया जाने वाला शुल्क 0.05% से 2.20% तक होता है. यदि आप नियमित योजनाओं के बजाय प्रत्यक्ष योजनाओं का विकल्प चुनते हैं, तो आप लंबी अवधि में महत्वपूर्ण बचत कर सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन न होने के कारण डायरेक्ट प्लान में में व्यय अनुपात कम होता है. वैसे अगर आप सीधे निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो पूरी जानकारी होना जरूरी है.

5- आपके फाइनल रिटर्न पर टैक्स इंप्लीकेशन्स क्या है यह आपको जरूर समझ लेना चाहिए. किसी भी निवेश से आपका अंतिम रिटर्न उस पर लगने वाले टैक्स पर निर्भर करेगा. म्यूचुअल फंड पर उनकी श्रेणी और निवेश अवधि के आधार पर कर लगाया जाता है. उदाहरण के लिए, एक साल से अधिक समय तक रखे गए इक्विटी फंड निवेश से अर्जित 1 लाख रुपये से अधिक के रिटर्न को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (long-term capital gains-LTCG) माना जाएगा. यदि किसी वित्तीय वर्ष में आपका एलटीसीजी 1 लाख रुपये तक है, तो आपको एलटीसीजी टैक्स का भुगतान करने से छूट मिलेगी लेकिन अगर एलटीसीजी 1 लाख रुपये से अधिक है, तो 10% एलटीसीजी टैक्स लगाया जाएगा. दूसरी ओर, इक्विटी फंड में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर 15% टैक्स लगता है. एसटीसीजी के मामले में डेट फंड पर टैक्स निवेशक पर लागू स्लैब दर के आधार पर निर्धारित किया जाता है.एलटीसीजी पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% टैक्स लगता है.

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आखिर में आदित्य कहते हैं कि जैसे कि कहा जाता है कि सभी अंडे एक ही टोकरी में न रखें. जोखिमों को कम करने, संतुलन बनाने और अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए अपने निवेश में विविधता लाएं. एक बैलेंस्ड पोर्टफोलियो में इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फंड का मिश्रण होना चाहिए.

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