ICAR ने अनुमान जताया है कि इस साल आम की पैदावार पिछले साल के मुकाबले 14 फीसदी बढ़ सकती है. पिछले साल आम की पैदावार 2.1 करोड़ टन थी. इस साल यह बढ़कर 2.4 करोड़ टन पर पहुंच सकती है.
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Mango Production In India: आम भारत का एक महत्वपूर्ण फल है और इसे ‘फलों का राजा’ कहा जाता है. भारत एक प्रमुख आम उत्पादक देश है, जो वर्ल्ड प्रोडक्शन में लगभग 42% का योगदान देता है.
ICAR के निदेशक टी दामोदरन ने बताया कि इस साल भारत में आम की कुल पैदावार लगभग 14% बढ़कर 2.4 करोड़ टन पर पहुंच सकती है.
अप्रैल-मई के लू का आम की पैदावार पर असर नहीं
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अप्रैल-मई अवधि में लू चलने के पूर्वानुमान का आम की पैदावार पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा, बशर्ते किसान फलों के अत्यधिक गिरने को कम करने के लिए मई के दौरान सिंचाई का ध्यान रखें.
अपने ताजा ग्रीष्मकालीन पूर्वानुमान में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने तेज लू के दौर की भविष्यवाणी की है जो सामान्य दो से चार दिन के बजाय 10-20 दिन के बीच रह सकती है.
दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत, पूर्वी भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में सामान्य से अधिक गर्मी वाले दिन होने की संभावना है.
आम के पेड़ों में फल लगने शुरू
आम में फूल (मंजर) आने की प्रॉसेस फल लगने की प्रॉसेस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अनुकूल मौसम के कारण, आम में फूल आना लगभग समाप्त हो गया है. परागण सामान्य है और फल लगने शुरू हो गए हैं. सामान्य गर्मी पैदावार को प्रभावित नहीं कर सकती हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से फसल को मदद करेगी.
पिछले साल 2.1 करोड़ था आम का उत्पादन
आम की फसल की संभावनाएं अभी अच्छी हैं. फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में कुल उत्पादन बढ़कर 2.4 करोड़ टन हो सकता है, जबकि फसल वर्ष 2022-23 में यह 2.1 करोड़ टन था.
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साउथ इंडिया में आम का बंपर उत्पादन
दक्षिण भारत में आम का उत्पादन बंपर देखा जा रहा है, जो देश के कुल उत्पादन में 50% का योगदान देता है. पिछले साल मौसम की गड़बड़ी के कारण दक्षिणी राज्यों को 15% नुकसान का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि इस साल स्थिति बेहतर है.
फलों के गिरने को कैसे बचाएं
सामान्य से अधिक गर्मी की स्थिति में, किसानों को सावधानी बरतने और हल्की सिंचाई सुनिश्चित करके मिट्टी की नमी के तनाव को दूर करने की आवश्यकता होती है, जिससे फलों का गिरना कम हो जाता है.
थ्रिप्स कीट से रहें सावधान
किसानों को उत्तरी मैदानी इलाकों के आम उत्पादक क्षेत्रों में आक्रामक कीटों के हमले, खासकरके, थ्रिप्स कीट से सावधान रहने की सलाह दी. दामोदरन ने कहा कि आम के कई बागों में थ्रिप्स की आबादी कई गुना बढ़ गई है.
फलों को बचाने के उपाय
भोजन की तलाश में, थ्रिप्स कीट पुष्प भागों से नवगठित फलों की ओर पलायन करेंगे. उन्होंने कहा कि फसल को बचाने के लिए किसान तुरंत कीटनाशक, विशेष रूप से इमिडाक्लोप्रिड, लगभग चार मिलीलीटर (ML) प्रति लीटर पानी या थियामेथैक्सम 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव कर सकते हैं.
आम की पैदावार बढ़ने से दाल की कीमतें घटेंगी?
सामान्यतौर पर यह देखा जाता है कि गर्मियों में दाल की कीमतों में गिरावट आ जाती है. हालांकि, इसको इस बात से भी जोड़कर देखा जा सकता है कि गर्मियों में अरहर की फसल भी हो कट जाती है. जिससे अरहर की दाल की कीमतों में कमी आती है. लेकिन, केवल फसल का ही असर नहीं होता है. किसानों का कहना है कि जबसे नीलगायों और आंवारा पशुओं का खेतों में आतंक हो गया है, तब से अरहर की बुआई ही बहुत कम होने लगी है. जिसकी वजह से अरहर की पैदावार काफी घट गई है. ग्रामीण भारत में गर्मियों में आम का काफी अधिक सेवन किया जाता है. जिससे दाल का कंजंप्शन घट जाता है. जिससे मांग में कमी आ जाती है. मांग घटने से दालों की कीमतें घट जाती हैं.
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बारिश के मौसम में बढ़ जाती हैं दाल की कीमतें
आम का सीजन खत्म होते ही जैसे बारिश का सीजन शुरू होता है. दालों की खपत बढ़ जाती है. खपत बढ़ने से मांग बढ़ती है और मांग बढ़ने से बारिश के सीजन अक्सर दालों की कीमतों उछाल आ जाता है.