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राहत: नहीं बढ़ेगी EMI, लगातार 6 झटकों के बाद थमी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की रफ्तार

Repo Rate Hike: देश में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) जनवरी में 6.52 फीसदी और फरवरी में 6.44 फीसदी पर रही थी, जो कि RBI के तय दायरे से ऊपर है. इसके बावजूद आरबीआई ने नए वित्त वर्ष की पहली एमपीसी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का ऐलान किया है, यानी Repo Rate 6.50 फीसदी ही रहेगा.

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम आदमी को बड़ी राहत ही है. दरअसल, तीन दिवसीय एमपीसी की बैठक के नतीजों का ऐलान करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को स्थिर रखने का ऐलान किया है. इसे 6.50 फीसदी पर यथावत रखा गया है. पहले अनुमान जताया जा रहा था कि इसमें 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया जा सकता है, लेकिन बैठक में इसे स्थिर रखने का फैसला किया है. बता दें मई 2022 से Repo Rate में लगातार छह बार बढ़ोतरी की जा चुकी है.

नए वित्त वर्ष में पहली गुड न्यूज

नए वित्त वर्ष में RBI की एमपीसी की ये पहली बैठक थी, जो तीन अप्रैल 2023 को शुरू हुई थी और इसमें जनता को गुड न्यूज मिली है. दरअसल, देश में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) जनवरी में 6.52 फीसदी और फरवरी में 6.44 फीसदी पर रही थी. ये आकंड़ा महंगाई दर को 2-6 फीसदी के तय दायरे में रखने के आरबीआई के लक्ष्य से ज्यादा है, इस वजह से भी रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही थी.

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शक्तिकांत दास ने बैठक के नतीजों का ऐलान करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था में जारी पुनरुद्धार को बरकरार रखने के लिए हमने नीतिगत दर को यथावत रखने का फैसला किया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हम स्थिति के हिसाब से अगला कदम उठाएंगे. MPC ने आम सहमति से इसे फिलहाल 6.50 फीसदी पर बनाए रखा है.

बैंकिंग क्राइसिस पर जताई चिंता

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास दुनिया में जारी बैंकिंग क्राइसिस पर चिंता जताई और कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी अशांति के नए दौर का सामना कर रही है. विकसित देशों में बैंकिंग क्षेत्र में उथल-पुथल पर आरबीआई कड़ी नजर रख रहा है. उन्होंने आगे कहा कि 2022-23 में GDP में 7 फीसदी की वृद्धि हुई, जो दर्शाता है कि आर्थिक स्थिति लचीली रही.

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दास ने बताया कि अप्रैल-जून 2023 में जीडीपी रेट 7.8 फीसदी और जुलाई-सितंबर 2023 अनुमान को 6.2 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. इसके अलावा अक्टूबर-दिसंबर 2023 जीडीपी रेट 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.1 फीसदी और जनवरी-मार्च 2024 जीडीपी रेट अनुमान को 5.8 फीसदी से 5.9 फीसदी किया गया है.

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.2 फीसदी रखा गया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है.

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छह बार में इतना बढ़ा Repo Rate बीते साल मई 2022 से अब तक रिजर्व बैंक चरम पर पहुंची महंगाई (Inflation) को काबू में करने के लिए एक के बाद एक लगातार सात बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है. पॉलिसी रेट में की गई बढ़ोतरी पर नजर डालें तो…

महीना रेपो रेट में इजाफा मई 2022 0.40% जून 2022 0.50% अगस्त 2022 0.50% सितंबर 2022 0.50% दिसंबर 2022 0.35% फरवरी 2023 0.25%

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रेपो रेट का ऐसे होता है EMI पर असर

आरबीआई द्वारा तय किया गया रेपो रेट सीधे तौर पर बैंक लोन को प्रभावित करता है. दरअसल, रेपो रेट वह दर जिस पर वह बैंकों को उधार देता है. इसमें कमी आने पर लोन सस्ता हो जाता है और इसमें इजाफा होने के बाद बैंक भी अपना कर्ज महंगा कर देते हैं. इसका असर होम लोन (Home Loan), ऑटो लोन (Auto Loan), पर्सनल लोन (Personel Loan) सभी तरह का लोन पर पड़ता है और कर्ज महंगा होने से ईएमआई का बोझ भी बढ़ जाता है.

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‘महंगाई के खिलाफ जंग अभी खत्म नहीं’

RBI गवर्नर ने कहा कि महंगाई के खिलाफ जंग अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि ये लगातार जारी है. उन्होंने कहा कि ये युद्ध तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक कि मुद्रास्फीति में टिकाऊ गिरावट नहीं आती है. इसके लिए केंद्रीय बैंक उचित और समय पर कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ने वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तमाम विवेकपूर्ण उपाय किए हैं और भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत और स्वस्थ बनी हुई है.

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