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Delhi AQI: घुटने लगा है दिल्ली का दम, एक्यूआई ‘बहुत खराब’ होकर 309 पर पहुंचा, नोएडा में हालात और बदतर

Delhi Air Pollution (AQI) Today: SAFAR-इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में समग्र वायु गुणवत्ता 309 AQI के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है. नोएडा में हवा की गुणवत्ता 372 AQI के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में और गुरुग्राम में 221 AQI के साथ ‘खराब’ श्रेणी में है.

नई दिल्ली. दिल्ली-NCR में हवा में जहर का बढ़ना आज भी जारी रहा. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR)- इंडिया के मुताबिक दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में गिर गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 309 पर पहुंच गया था. नोएडा में भी हवा की गुणवत्ता 372 AQI के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है. वहीं गुरुग्राम में हवा की गुणवत्ता 221 AQI के साथ ‘खराब’ श्रेणी में है. पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई के सीजन के शुरू होने के साथ ही हर बार की तरह इस साल भी कई जगहों पर पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं.

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पराली जलाने के साथ ही वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को भी दिल्ली-एनसीआर की हवा को जहरीला बनाने का जिम्मेदार माना जाता है. एक दिन पहले शनिवार को दिल्ली का AQI 286 था और वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई थी. शनिवार को नोएडा की AQI 255 रही और हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रही, जबकि गुरुग्राम में हवा की गुणवत्ता थोड़ी बेहतर रही और AQI 200 के साथ ‘मध्यम’ श्रेणी में रही. गौरतलब है कि AQI पैमाने के मुताबिक 0 और 50 के बीच हवा की गुणवत्ता ‘अच्छी’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’, और 401 और 450 के बीच ‘गंभीर’ होती है.

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दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से लगातार खराब चल रही है. निगरानी एजेंसियों ने बात कहा है कि फिलहाल इसमें जल्द किसी सुधार की संभावना भी नहीं दिखाई दे रही है. केंद्र की दिल्ली वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के मुताबिक शहर की वायु गुणवत्ता अगले कुछ दिनों के दौरान ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ के बीच रहने की संभावना है. इस बीच दिल्ली राज्य सरकार ने वाहन प्रदूषण पर रोकथाम के लिए गुरुवार से एक अभियान भी शुरू किया. एक साल पहले उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने ऐसे ही एक अभियान के असरदार होने पर सवाल उठाते हुए उसे रोक दिया था.

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गौरतलब है कि केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने 2019 में एक अध्ययन कराया था. जिसमें सामने आया था कि ट्रैफिक सिग्नलों पर इंजन चलते रखने से प्रदूषण के स्तर में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. दिल्ली में पिछले कुछ सालों में उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन पर कराए गए अध्ययनों से पता चला कि वाहनों से जो धुंआ निकलता है, उसका हिस्सा पीएम 2.5 उत्सर्जन में 9 फीसदी से 38 फीसदी तक होता है. मई के बाद पहली बार पिछले रविवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो गई थी. उसकी मुख्य वजह तापमान में गिरावट और हवा की रफ्तार है, जिसके कारण प्रदूषक जमा हो गए. दिल्ली पदूषण नियंत्रण समिति के मुताबिक एक नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण शीर्ष पर पहुंच जाता है.

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