All for Joomla All for Webmasters
वित्त

Health Insurance : क्‍या होती है को-पेमेंट? क्‍यों प्रीमियम से लेकर क्‍लेम तक दिखता है इसका असर?

health_insurance_claim

अलग-अलग हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी (health Insurance Policy) में को-पेमेंट प्रतिशत भी भिन्‍न-भिन्‍न हो सकता है. इसलिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेते वक्‍त ही इसके बारे में अच्‍छे से जान लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें–: Term Insurance: इन 8 मामलों में नहीं मिलता है टर्म इंश्‍योरेंस का पैसा, प्‍लान खरीदने से पहले समझ लें ये बात

नई दिल्‍ली. इंश्योरेंस कंपनियां द्वारा जारी की जाने वाली पॉलिसी में कई नियम और शर्तें ऐसी होती हैं जिन्हें समझना बेहद जरूरी होता है. अक्सर लोग प्रीमियम और कवरेज देखकर ही पॉलिसी खरीद लेते हैं. नियम-शर्तों की जानकारी न होने पर जब उन्‍हें पूरा क्‍लेम नहीं मिलता तो वे शिकायत करते हैं कि बीमा कंपनी जानबूझकर पूरा पैसे का भुगतान नहीं करती. वहीं, कंपनियों का तर्क होता है कि पॉलिसी देते वक्‍त ही पॉलिसी दस्‍तावेजों में सारे नियम और शर्तों का उल्‍लेख उसने किया था. ग्राहक ने उसे देखा-समझा नहीं. हेल्‍थ इंश्‍योरेंस में को-पेमेंट (Co-Payment In Health Insurance) भी एक ऐसी ही शर्त है, जो पॉलिसी प्रीमियम के साथ ही क्‍लेम को भी खूब प्रभावित करती है.

ये भी पढ़ें– DA Hike: केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में सीधे-सीधे बढ़ेंगे ₹9000, क्या 8वें वेतन आयोग के ऐलान का वक्त आ गया है?

को-पेमेंट के बारे में ज्‍यादातर पॉलिसीधारकों को कोई जानकारी नहीं होती. उन्‍हें इसका पता तभी चलता है जब वे क्‍लेम लेते हैं और कंपनी को-पेमेंट का हवाला देते हुए कम भुगतान करती है. इसलिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेते समय ही को-पेमेंट को अच्‍छे से जान लेना बहुत जरूरी है.

क्‍या है को-पेमेंट?
को-पेमेंट या सह-भुगतान बीमा क्‍लेम का वो हिस्‍सा है, जिसे पॉलिसीधारक को खुद चुकाना होता है. आमतौर पर यह 10 से 30 फीसदी तक होता है. मान लेते हैं कि आपने जो बीमा पॉलिसी ली है, उसका को-पेमेंट 30 फीसदी है. अब अगर आप 200000 रुपये का क्‍लेम करेंगे तो बीमा कंपनी आपको 140,000 रुपये ही देगी. बाकि 60,000 रुपये आपको अपनी जेब से देने होंगे.

ये भी पढ़ें– Citizenship Amendment Act: क्या है CAA? लागू होने के बाद क्या होंगे बदलाव और क्यों हो रहा विवाद

खास बात यह है कि पॉलिसी धारक जितनी बार क्लेम करता है को-पेमेंट का नियम उतनी ही बार लागू होता है. इस तरह को-पेमेंट स्वास्थ्य बीमा में पॉलिसीधारक और बीमाकर्ता के बीच एक समझौता है जिसमें पॉलिसीधारक अपने मेडिकल बिलों का कुछ प्रतिशत अपने दम पर भुगतान करने को राजी होता है.

पॉलिसी का अनिवार्य हिस्‍सा नहीं है को-पेमेंट
यह जरूरी नहीं कि हर हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी में को-पेमेंट का विकल्प हो. यानि आपको अपने क्लेम का 100 प्रतिशत मिल सकता है. बहुत सी कंपनियां ऐसी हेल्‍थ पॉलिसी भी देती हैं, जिनमें वह क्‍लेम का 100 फीसदी भुगतान करने के लिए उत्‍तरदायी होती हैं.

ये भी पढ़ें– अगर आजमा लें बचत का ये तरीका, तो 20,000 सैलरी पाने वाले भी जोड़ लेंगे 1 करोड़ से ज्‍यादा, समझें पते की बात

को-पेमेंट ज्‍यादा तो प्रीमियम होगा कम
बीमा पॉलिसी का प्रीमियम को-पेमेंट से निर्धारित होता है. जिस पॉलिसी में को-पेमेंट का हिस्‍सा ज्‍यादा होता है, उसका प्रीमियम कम होता है. इस मामले में इलाज खर्च पर बीमाधारक को अपनी जेब से ज्‍यादा पैसे देने पड़ते हैं. वहीं, अगर को-पेमेंट किसी पॉलिसी में कम है तो उसका प्रीमियम ज्‍यादा होता है. लेकिन, कम को-पेमेंट का फायदा यह होता है कि पॉलिसीधारक को इलाज खर्च के लिए अपनी जेब से कम पैसे देने पड़ते हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top