भारत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की 8% की सालाना वृद्धि दर को कायम रख सकता है या इससे भी आगे निकल सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मंगलवार को जारी ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर मार्च के बुलेटिन में कहा गया है कि देश का अनुकूल माहौल इकोनॉमिक वृद्धि दर को आगे बढ़ाने का आधार बन सकता है.
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देश की इकोनॉमिक वृद्धि दर 2021-24 की अवधि में औसतन 8% से अधिक रही है.
RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली एक टीम द्वारा लिखे गए आर्टिकल में कहा गया कि ग्लोबल इकोनॉमी गति खो रही है, कुछ सबसे मजूबत अर्थव्यवस्थाओं और उच्च आवृत्ति संकेतकों में वृद्धि धीमी हो रही है. यह आने वाले समय में चीजों के और सुस्त पड़ने का इशारा कर रहे हैं.
भारत की 2023-24 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में वास्तविक GDP वृद्धि छह तिमाहियों के उच्चतम स्तर पर थी. मजबूत रफ्तार, बेहतर इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन और सब्सिडी में कमी की वजह से यह ग्रोथ हासिल हो सकी है.
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आर्टिकल में कहा गया है कि संरचनात्मक मांग और कंपनियों तथा बैंकों का मजबूत बही-खाता आगे चलकर वृद्धि को और गति देने में भूमिका निभाएंगे.
इसमें कहा गया है कि दुनिया ढांचे और धारणा में बड़े बदलावों का सामना कर रही है. ये या तो चल रहे हैं या आने वाले हैं.
आर्टिकल में कहा गया है कि माहौल में अनिश्चितता फैली हुई है, जो जियो-पॉलिटिकल और मौसम से संबंधित रिस्क्स की वजह से और बढ़ गई है.
इसमें कहा गया है कि इसके विपरीत इंडियन इकोनॉमी एक अनुकूल वृहद इकोनॉमिक माहौल का अनुभव कर रही है जो इसके वृद्धि पथ में तेजी लाने के लिए आधार हो सकता है.
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आर्टिकल के लेखकों ने कहा कि वृद्धि दर 2021-24 की अवधि में औसतन 8% से ऊपर रही है. …और अंतर्निहित बुनियादी बातों से संकेत मिलता है कि इसे कायम रखा जा सकता है और इसे और ऊपर ले जाया जा सकता है.