All for Joomla All for Webmasters
जरूरी खबर

Cheque Bounce: चेक बाउंस होने पर क्या हैं ऑप्शन और आपके कानूनी अधिकार, समझिए सारा प्रोसेस

cheque

Cheque Bounce: वित्तीय लेनदेन करने के लिए चेक एक भरोसेमंद माध्यम होता है. चेक बाउंस हो जाने की स्तिथि में बैंक की तरफ से एक रसीद दी जाती है. उसमें आपको चेक बाउंस होने की वजह बताई होती है.

Cheque Bounce: चेक का इस्तेमाल कई तरह के लेनदेन जैसे कि कर्ज अदायगी, वेतन का भुगतान, फी आदि भरने में किया जाता है. चेक की प्रक्रिया बैंकों की तरफ से पूरी की जाती है और रोजाना निपटारा किया जाता है. चेक का भुगतान प्रमाण प्राप्त करने के कारण भी जारी किए जाते हैं. चेक भुगतान का एक विश्वसनीय तरीका है. चेक का गलत इस्तेमाल न हो इससे बचने के लिए हमेशा चेक को क्रॉस चेक करने की सलाह दी जाती है.

Read more:New Wage Code: नए फाइनेंशियल ईयर से बदल जाएगा आपका सैलरी स्ट्रक्चर! जानिए कौन फायदे में, किसे नुकसान

चेक बाउंस होना देनदार को पड़ सकता है भारी


चेक देने वाले व्यक्ति और उस साइन करने वाले व्यक्ति को देनदार कहा जाता है. जिसके पक्ष में में चेक जारी किया जाता है उसे लेनदार कहते हैं. चेक बाउंस होने के मामले बेहद आम हैं. कभी-कभी देखा जाता है कि चेक की रकम का भुगतान नहीं होता और चेक बाउंस हो जाता है, और बैंक उसे वापस लौटा देता है.  चेक बाउंस होने की सूचना देनदार को होना अनिवार्य है. लेनदार को अगर भुगतान एक महीने के अन्दर नहीं मिलता तो ऐसे हालत में देनदार को लीगल नोटिस भेजा जाता है. नोटिस मिलने के बाद अगर नोटिस मिलने के दिन से 15 दिनों तक अदायगी नहीं करता है, तो यह कानून के तहत दंडनीय अपराध है. लेकिन वहीं अगर 15 दिन के अन्दर चेक की रकम की अदायगी हो जाती है तो देनदार पर कोई अपराध नहीं बनता.

Read more:Aadhaar Update: यूजर्स के लिए काम की खबर! आधार अपडेट के लिए शुरू हुई नई सर्विस, UIDAI ने दी जानकारी

3 महीने तक चेक करा सकते हैं कैश 


लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में नोटिस में 15 दिन गुजरने की तारीख से एक महीने के अंदर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. अगर इसके बाद भी आपको चेक नहीं प्राप्त होता है या रकम का भुगतान नहीं किया जा सकता है तो देनदार के खिलाफ केस किया जा सकता है. Negotiable Instrument Act 1881 की धारा 138 के मुताबिक चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है और इसके अलावा दो साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है. किसी भी चेक की सीमा 3 महीने तक ही रहती है, उसके बाद समय सीमा समाप्त हो जाती है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top