नई दिल्ली. ज्यादातर निवेशकों का मानना है कि शेयर बाजार और इक्विटी में निवेश करना युवाओं का काम है. बुजुर्गों और 50 पार कर चुके निवेशकों को FD, रिकरिंग और एनएससी जैसे परंपरागत विकल्पों में ही पैसे लगाने चाहिए. इस पर हमने निवेश के एक्सपर्ट से बात की तो उन्होंने कई अहम जानकारियां दीं.
इससे स्पष्ट हो जाता है कि उम्रदराज और रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके निवेशकों को भी क्या शेयर बाजार और इक्विटी की तरफ रुख करना चाहिए.निवेश एवं टैक्स मामलों के जानकार बलवंत जैन का कहना है कि उम्रदराज निवेशकों को इस मान्यता से बाहर आना चाहिए.
उनके पास अपने फंड से बेहतर रिटर्न कमाने का मौका भी रहता है. मेरा तो ये मानना है कि सिर्फ इक्विटी ही वह विकल्प है, जो रिटायरमेंट को चैन से काटने लायक फंड देता है. एफडी जैसे विकल्पों में तो जो भी रिटर्न आएगा, उस पर टैक्स कटने के बाद निगेटिव हो जाएगा. इसका रिटर्न महंगाई दर के आसपास ही रहता है.
क्यों सही है इक्विटी का विकल्पबलवंत जैन का कहना है कि जो लोग 50 साल के पार हो गए हैं और अभी तक रिटायरमेंट के लिए फंड नहीं बनाया तो इक्विटी ही एकमात्र ऐसा विकल्प है, जो आपको जल्दी फंड जुटाने में मदद करेगा. 50 साल पूरे करते-करते आप ज्यादातर जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके होंगे और लोन वगैरह भी चुका दिया होगा.
ऐसे में आक्रामक निवेश रणनीति भी अपना सकते हैं और अपने पैसों पर थोड़ा जोखिम उठाते हुए जबरदस्त रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं. हां, ये ध्यान रखें कि सीधे बाजार में लगाने के बजाए सिप के जरिये हर महीने निवेश करें, क्योंकि हर महीने सैलरी आने पर आपके लिए यह आसान भी होगा.
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क्यों नहीं होगा निवेश पर जोखिमदरअसल, 50 साल पार कर चुके लोगों के पास भी रिटायरमेंट तक 10 साल का टाइम रहता है और इक्विटी में 7 साल से ज्यादा का निवेश किया है तो कभी आपका पैसा डूबेगा नहीं आपको नुकसान नहीं होगा. इक्विटी ही एक जरिया है जो रिटायरमेंट के नजदीक पहुंचकर आप पैसा जमा कर सकते हैं. इतना ही नहीं 10 साल से ज्यादा की अवधि में 12 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न भी मिल जाएगा.
रिटायरमेंट के बाद क्या हो रणनीतिकभी शेयर बाजार में सीधे पैसे न लगाएं, फंड के जरिये ही डालें.रिटायर व्यक्ति को इक्विटी में निवेश के लिए बकेट स्ट्रेटजी बनानी चाहिए.रिटायरमेंट के बाद कम से कम 20 साल आपको खर्चे की जरूरत होती है.ऐसे में 3 साल के खर्चे लायक रकम को आप लिक्विड फंड या एक साल वाली एफडी में डाल दीजिए.
4 से 10 साल तक के खर्चे वाली रकम को हाइब्रिड फंड में डाल दीजिए, जहां कम जोखिम रहता है.10 साल के बाद इस्तेमाल होने लायक फंड को म्यूचुअल फंड के जरिये इक्विवटी में डाल दीजिए.इस निवेश को समय के साथ बदलते रहिए. 3 साल वाला फंड बचता है तो उसे 10 साल में कन्वर्ट कर दीजिए.
10 वाले को 20 साल में कर दीजिए.ज्यादा जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं तो इंडेक्स फंड में डाल दीजिए. इसमें माथापच्ची भी नहीं करनी होगी.मिलता है दोहरा फायदाबलवंत जैन का कहना है कि एफडी जैसे विकल्पों के बजाए म्यूचुअल फंड इक्विटी में पैसे लगाने पर दोहरा फायदा मिलता है.
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एक तो लांग टर्म में यहां आपको कम से कम 12 फीसदी का रिटर्न मिल ही जाएगा. दूसरे टैक्स की भी बचत होगी. एफडी पर जहां स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है, वहीं इक्विटी पर 1 लाख रुपये तक का रिटर्न फ्री होता है. इसके ऊपर की राशि पर लांग टर्म में सिर्फ 10 फीसदी की दर से इनकम टैक्स देना पड़ता है.